पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/५३

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चले गए, भारत की एकता का निर्माण करो कि तीन साल तक किसी को स्ट्राइक ( हड़ताल) नहीं करनी है। इन तीन सालों में मजदूरों को किस तरह से देना होगा, उसका फैसला करने का एक मशीनरी बनाई गई । उसे सब कैपिटलिस्टों ने मान लिया और लेबर के जितने प्रतिनिधि थे, उन्होंने भी कबूल कर लिया। लेकिन जब इधर से वे बम्बई तो वहां जाकर एक रेजोलूशन ( प्रस्ताव ) पास किया कि यह जो वम्बई में गवर्नमेंट की तरफ से लेबर का काम चलता है, वह अच्छा नहीं चलता, इसलिए एक रोज की हड़ताल करो। उन्होंने कहा कि सारे बम्बई शहर में एक रोज की हड़ताल करो और उसमें सब गवर्नमेंट सर्वेण्ट्स (सर- कारी नौकर ) भी शरीक हो जाओ। इस तरह से दूसरे ही दिन उन्होंने यह काम किया। मैं कल कलकत्ता में था। तो वहाँ भी कल उन्होंने स्ट्राइक कराने की काफी कोशिश की। वहां से मुझको बुलाया गया कि वहाँ इस तरह स्ट्राइक होनेवाली है । तो मैं दो दिन पहले वहाँ. चला गया और तीन तारीख को मैंने कलकत्ता में एक मीटिंग की, जो बहुत बड़े पैमाने पर हुई। कोई बारह लाख आदमी वहां जमा हो गए। तो मैंने इन लोगों को समझाया कि यदि हमः इसी रास्ते पर चलेंगे, तो हमारा हिन्दुस्तान तबाह हो जाएगा। इसमें न मुसल- मान बचेंगे, न लेबर बचेगी, न कैपीटल बचेगी, न कोई और बचेगा । यह हड़ताल करने की जरूरत क्या है.? मुझे बताओ तो? जब यह पूछा, तो उसमें कोई बात नहीं निकली। ...आज हिन्दोस्तान में जो अशान्ति है, उसे दृष्टि में रखकर हमारी गवर्न- मेंट एक कानून बनाना चाहती थी, जिस से गुनाह करनेवाले लोगों को ठीक रास्ते पर ले आया जाए, उनके ऊपर कुछ काबू पाया जाए। मुझे ताज्जुब होता. है कि हमारे अपने लोग स्ट्राइक करवा रहे हैं। तो मैं आप लोगों से, जितने लेबर में काम करनेवाले हैं, उन सब से मैं अदब से कहता हूँ कि हिन्दुस्तान को तो अभी आजादी मिली है। हम दो-चार साल हिन्दुस्तान में कुछ इन्डस्ट्री बना लें, कुछ उद्योग पैदा करें, तभी तो मजदूरों के लिए कुछ धन पैदा हो सकेगा और उन्हें हिस्सा मिल सकेगा। जहाँ होगा, वहाँ ही से तो कुछ लिया जा सकेगा। लेकिन जो शून्य है, उसका क्या हिस्सा होगा? कोई चीज होगी ही नहीं, तो क्या बाँटेंगे? तो कुछ पैदा तो करो ! हिन्दुस्तान में आज कोई भी चीज नहीं बनती । न अनाज पूरा मिलता है, न कपड़ा पूरा मिलता है, और न जिन्दगी की जरूरियात की और चीजें .