पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/५८

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बम्बई, चौपाटी बम्बई १७ जनवरी, १९४८ बहुत दिनों के बाद आप लोगों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं आप लोगों को मिलने की बहुत दिनों से कोशिश कर रहा था, लेकिन मैं ऐसे कामों में फंसा रहा, जिससे आप लोगों को मिलने का अवसर नहीं बन सका। आज मैं आपके पास आया, तो भी कोई ऐसा मौका नहीं था कि मैं दिल्ली छोड़ कर आपके पास आऊँ। लेकिन पहले से मैंने एक दो ऐसे काम कबूल कर लिए थे, जिनको पूरा करना मुनासिब था। एक तो हमारे उद्योग मन्त्री डा. श्यामाप्रसाद मुकर्जी ने बम्बई में उद्योग- पतियों की एक कान्फ्रेन्स बुलाई है। जो कान्फेन्स बुलाई है, उसमें तय करने का मामला ऐसा कठिन है कि उसमें उन्होंने मेरी मदद मांग ली और मैं इन्कार नहीं कर सका। क्योंकि बम्बई में जो उद्योगपति रहते हैं, उनके हाथ में काफी ताकत है। वे सारे हिन्दुस्तान को कपड़े की मांग को पूरा कर सकते हैं। अब जैसा हमने अनाज के बारे में राशनिंग कंट्रोल वगैरह का एक फैसला किया है, इसी प्रकार कपड़े के बारे में क्या करना चाहिए, यह भी एक बड़ा विकट प्रश्न है । अनाज के बारे में जो हमने फैसला किया था, वह कई लोगों ने पसन्द 4802