पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/६४

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बम्बई, चौपाटी मील का लम्बा प्रोसेशन ( (जुलूस ) अब वहीं पड़ा था । उसमें १० लाख आदमी थे और इन लोगों ने बहीं रोक लिया और दूसरा कोई रास्ता जाने का नहीं था। इधर इन लोगों ने हठ पकड़ी कि नहीं जाने देंगे। उधर दूसरी तरफ हमारे जुलूसों को भी रोक लिया गया। अब उसका फैसला कौन करें? लोग गुस्से में भरे हुए थे । अपने मकान जले हैं, अपने बीवी-बच्चे कत्ल हो गए हैं, अपने पास खाने-पीने की भी कोई चीज़ नहीं बची है । आँखें लाल हैं और तलवार लेकर निकल आए कि नहीं जाने देंगे। तब फौज से भी यह काम नहीं होता । फौज आखिर बन्दुक चलाकर कितने हिन्दुओं को मारे ? कितने सिक्खों को मारे ? तोप से हम कैसे रोकें और कितनों को मारें? तब मैं अमृतसर गया । सब सिक्ख लीडरों को मैंने बुलाया और उनके साथ बातचीत की। मैंने कहा, यह क्या कर रहे हो आप ? आप १० लाख मुसलमानों को इधर रोक लोगे । १० लाख हिन्दू और सिक्ख वहाँ रुके पड़े हैं। उन अभागों पर ऊपर से पानी पड़ता है। नीचे भी पानी है । उनका सब कपड़ा भीगा हुआ है। नोंद नहीं है, खाना नहीं है। हैजा शुरू हो गया है। इस तरह से प्रोसेशन रोककर आप क्या फायदा निकालोगे ? मैंने अनुरोध किया कि मेरी बात मानो। यदि हमें लड़ना ही है, तो हम कुछ सभ्यता से लड़ें ताकि दुनिया के लोग भी देखें कि यह लड़नेवाले बहादुर लोग हैं । आपकी तलवार यदि इस तरह कमजोरों पर चलेगी तो उससे क्या फायदा होगा? तुम बहादुर कौम हो । ऐसे कामों से दुनिया में हमारी इज्जत जाती है। बहादुर सिक्खों को बदनाम करने वाला यह काम कभी मत करो। पटियाला महाराज ने भी मेरा साथ दिया । जितने सिक्ख लीडर थे, वह समझ गए और मान गये। तब मैंने वहाँ अमृतसर में एक बहुत बड़ा जल्सा किया। दो घंटे की नोटिश में डेढ़ लाख आदमी जमा हो गए। सब को मैंने कहा और समझाया। मैंने कहा, आपका काम यह है कि आप अपनी गवर्नमेंट की मदद करें, ताकि हमें पुलिस का उपयोग न करना पड़े, फौज का उपयोग न करना पड़े। आप खुद चौकीदारी करें। आप वालंटियर बनकर मुसलमानों को इधर से निकल जाने दें और उधर जो हमारे हिन्दू और सिक्ख भाई पड़े उनको इधर लाने में मद दें। ५० लाख आदमी हमें वहाँ से इधर लाना है। ४० लाख आपको इधर से वहाँ भेजना है। वैसे हम मरते रहेंगे, उससे तो अच्छा है कि अब अपनी फौज बनाकर, मजबूत हिन्दुस्तान बनाकर, पाकिस्तान और हिन्दु-