पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/७१

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६४ भारत की एकता का निर्माण कलकत्ता जैसे सिटी में एक दिन की स्ट्राइक. करने से आप समझते हो कि पुलिस और गवर्नमेंट के ऊपर क्या बोझ पड़ता. है? उसमें से कोई फिसाद हो गया तो उसका क्या नतीजा निकलेगा और किस चीज़ के लिए आप हड़- ताल कर रहे हैं ?. उससे आपका क्या फायदा होगा? जब लोग समझ गए, तो मैंने कहा कि आप लोगों का कर्त्तव्य यह है कि जब इस तरह स्ट्राइक होने का समय आए, तो आप खुले तौर से उसका विरोध करें। तब आपको घरों में नहीं बैठे रहना चाहिए। सब लोग यह. चाहते हैं कि हड्ताल न हो। परन्तु मजदूरों के साथ कौन झगड़ा करे । मजदूरों में काम करनेवाले तूफानी लोग कहते हैं कि वे फिसाद करेंगे, मोटर पर. हमलां करेंगे, घर पर हमला करेंगे, पत्थर डालेंगे। इस से डरकर अपने काम पर मत जाओ, घर में बैठ रहो। इस तरह काम नहीं चल सकता। इस.तरह से अपने स्वराज्य में आप अपनी जिम्मेवारी पूरी नहीं करेंगे। हर आदमी का फर्ज है कि वह सिटीजनशिप ( नागरिकता ) के अधिकार और जिम्मेवारी दोनों को अदा करें और अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो देश का बहुत बड़ा नुकसान होगा। आज तो एक दिन की स्ट्राइक हो जाएगी, क्योंकि. मजदूरों को इतना ही तो. कहना है कि एक दिन घर बैठो, आराम मिलेगा छुट्टी मिलेगी, तनख्वाह भी मिलेगी। परन्तु यह लीडरशिप की बात नहीं है। यह तो पागलपन है। इससे किसी का कोई फायदा नहीं होगा। तो कलकत्ता बालों ने मान लिया। फिर भी कई लोगों ने ट्रामें रोकने की कोशिश की। ट्रामों पर पर बम डाला, कुछ गड़बड़ भी ' की। लेकिन सब लोगों ने विरोध किया कि यह नहीं चलेगा, तो स्ट्राइक । नहीं हुई। यानी आप लोगों को स्ट्राइक पसन्द न हो तो आपको भी उसी

तरह से करना चाहिए।

अब आज में आया तो मेरे पास सोशलिस्ट लीडर अशोक मेहता की एक चिट्ठी आई कि पोर्ट ट्रस्ट में तीन हफ्ते हड़तालं चली है। अब आप इस चीज में इन्साफ कराने के लिए मदद कीजिए। अब मैं क्या करूँ? अब में उसे चिट्ठी लिखने वाला हूँ कि यह तो गवर्नमेंट आफ इंडिया का काम है। यह प्रान्तीय गवर्नमेंट का काम नहीं है। इसलिए हम उनको. बराबर इन्साफ देंगे। क्योंकि हमारे कम्यूनिकेशन के मिनिस्टर डा० जान मथाई. मजदूरों की तरफ़ काफी हमदर्दी रखते हैं। लेकिन वह भी तंग आ गए हैं और वह भी कहते हैं कि अब ' तो कोई रास्ता निकालना चाहिए । मैने कहा कि एक ही रास्ता है, वह यह