पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/७५

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भारत की एकता का निर्माण थी कि सल्तनत जब चली गई, तो यह कह कर गई कि भारत में जो सार्व- भौम सत्ता थी, वह खत्म हो गई और जो पैरामाउन्सी थी, वह हवा में उड़ गई। तो हमारे मुल्क में पांच सौ राजा पड़े हैं, क्योंकि यहाँ इतनी रिया- सतें हैं। इनमें बहुत से लोगों को लगा कि अब क्या होगा; अंग्रेज तो चले गए । बहुत-से सोचने लगे कि राजस्थान बनाओ और उसमें काफी कोशिश हुई। अगर अलग राजस्थान बन जाता, तो वह पाकिस्तान से भी बुरी चीज थी। हमने तो हिंदुस्तान गँवाया ही इसी कारण से कि अनेक अलग-अलग राज्य एक नहीं हो सकते थे। अब हमें फिर से उसे नहीं गाना है । इसलिए साथ-साथ दो-चार महीने में यह भी काम करना था कि हिन्दुस्तान को संग- ठित करके सब राजाओं को भी साथ ले लें। आप देखते हैं कि हमने यही काम कर लिया। दो-तीन राज्यों के साथ झगड़ा चलता है, उसका भी फैसला हो जाएगा और ठीक तरह से हो जाएगा। उसमें मुझे कोई शंका नहीं है। लेकिन जब मैंने यह काम किया तो कई लोग कहने लगे कि भई, यह तो राजाओं का दोस्त हो गया। कैपिटलिस्ट का दोस्त तो मैं पहले ही था, अब राजाओं का भी दोस्त हो गया। ४८ घंटों में चालीस रियासतें मैंने खत्म की । तब वे लोग कहने लगे कि यह क्या चीज़ बनी! तो काम तो दिमाग से होता है और जिस समय मौका आता है, उस समय काम होता है। जब फल पकता है, तब उसमें मिठास आती है। लेकिन कच्चा खाओ तो दांत खट्टे हो जाएंगे, और पेट खराब हो जाएगा । इस तरह से यह सब भी हमने चार महीने में कर लिया। अब हमें क्या करना है ? अब करने का काम यह है कि हमें हिन्दुस्तान को उठाना है और दुनिया के और उन्नत मुल्कों के साथ उसको रखना है । उसके लिए आज हिन्दुस्तान में किस चीज की जरूरत है ? एक, मैंने जो कहा और जिसके लिए गान्धीजी फाका कर रहे हैं, उस चीज की हमें पूरी जरूरत है। हमें गुस्से पर, अपने मिजाज पर, काबू रखना है कि इधर हिन्दुस्तान में कोई फसाद न हो। आज मैं एक प्रेस कांफ्रेंस में गया था। एक आदमी ने सवाल पूछा कि जितने हिन्दू और सिक्ख वहाँ से निकालते हैं, उतने मुसलमान हम इधर से निकालें कि नहीं? अब इस तरह से हमारा दिमाग चलेगा, तो हमारा काम नहीं होगा । जितने मुसलमान इधर पड़े हैं, उन सबको चैन से रहने दो। यदि उनको जाना पड़े, तो अपने कर्म से जाना पड़े, हमारे कर्म से