पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/७६

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बम्बई, चौपाटी. नहीं। यदि वह गल्ती करेगा, तो उसको जाना ही पड़ेगा। लेकिन यदि वह बफादारी से हमारे यहाँ रहे, तो हमें उसपर पूरा भरोसा करना चाहिए । जैसा हमारा रहने का अधिकार है, इसी तरह से उसका भी है। उनको दिल की पूरी अमन और चैन से यहाँ रहना चाहिए। चन्द मुसलमानों को मार देने से मुल्क का कोई फायदा न होगा। इससे मुल्क का बुरा होगा, नुकसान होगा। यह चीज हमको छोड़ देनी चाहिए । यही मैं मुसल- मानों से भी कहता हूँ और कभी-कभी कड़ी भाषा में भी कहता हूँ। लेकिन कई मुसलमान समझने लगे कि यह हमारा दुश्मन है । तो मैं कहता हूँ कि गान्धी भी तो एनेमी नम्बर १ था। वैसे ही मैं भी हूँ। लेकिन जैसे गान्धी आज उनका सबसे बड़ा मित्र है, ऐसा ही मैं भी हूँ, यह आप समझ लीजिए। क्योंकि में कोई बात छिपाऊँगा नहीं। मैं साफ सुनाऊँगा। यदि में छिपाऊँगा तो वह आपसे दगा करना होगा। तब मैं दगाबाज हो जाऊँगा । में दगाबाज नहीं होना चाहता । तो आप ऐसी बात न समझे । जो बात में कहता हूँ, उससे आपको थोड़ा सा बुरा या कटु भी लगे, तो हजम कर लीजिए। लेकिन मेरी बात समझ लीजिए। तो एक चीज तो हमें वही करनी है, जो गान्धी जी चाहते हैं। वह यह कि इस तरफ हिन्दोस्तान में कोई गड़बड़ न करो। पाकिस्तान में हो, तो उसका बदला हम इधर न लें। बुरी चीज में मुकाबला न करो' भली चीज़ में मुकाबला करो । गान्धीजी जितना कहते अगर वहाँ तक नहीं जा सके, तो जो मैं कहता हूँ और जवाहरलाल कहता है, वहाँ तक तो चलो। गान्धी जी के साथ तो आप जाकर नहीं बैठ सकते हो, मैं भी नहीं बैठ सकता हूँ। में भी कहता हूँ कि मुझे राज्य चलाना है, बन्दूक रखनी है, तोप रखनी है, आर्मी रखनी है । गान्धी जी कहते हैं कि कोई न करो। तो वह मैं नहीं कर सकता हूँ। और मुझे ऐसी आर्मी रखनी है, जिससे हमारे सामने कोई नजर न रख सके, इस तरह की मजबूत आर्मी मुझे रखनी है। नहीं तो मुझे इधर से हट जाना चाहिए। मुझे यह चीज़ नहीं चाहिए । क्योंकि मैं तीस करोड़ का ट्रस्टी हो गया हूँ। मेरी जिम्मेवारी है कि मैं सबकी रक्षा करूँ। तो इस तरह मुझे करना है। गान्धी जी जिस तरह करना चाहते हैं, उस तरह तो मैं नहीं कर सकता। लेकिन गान्धी जी भी यह अच्छी तरह समझते हैं, में उनको भी कहता हूँ कि भाई, में तो हुकूमत लेकर बैठा हूँ। मेरे पर हमला कुछ