पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारत की एकता का निर्माण होगा में उसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। क्योंकि मेरी जिम्मेवारी है। वह समझते हैं कि यह ठीक कहता है। यह हँसने की बात नहीं है। मैंने बार-बार उनके साथ बात की है । उन्होंने मुझसे कहा, "मैं तो ऐसे ही करूँगा। आप अपने रास्ते चलिए । मेरा रास्ता अच्छा है, यह मैं जानता हूँ।" मैंने कहा-“मैं भी जानता हूँ कि आपका रास्ता अच्छा है । लेकिन वहाँ तक में नहीं जा पाता हूँ ." लेकिन जो रास्ता इधर बताया जाता है कि हिन्दू वहाँ से निकाले जाएँ, तो उतने मुसलमान इधर से निकालने ठीक नहीं है । और यह भी है कि लड़ना हो, तो लड़ाई का मैदान और लड़ाई का मौका होना चाहिए। सब चीज हमारे साथ होनी चाहिए। हमारे पास लड़ाई का सामान पूरा होना चाहिए, घाटा न पड़े। यह सब चीज ठीक करके काम करना चाहिए। तो गवर्नमेंट जो पार्टी चलाती है, वह तरीके से काम करती है। पागलों की तरह काम करेगी, तो हार जाएगी। तो यह चीज़ करने की है कि यह जो हमारा हिन्दुस्तान है, उसमें अब कोई गड़बड़ न करो। मेहरबानी करके अब हमको काम करने का मौका दो । अब ५० लाख तो हम निकाल लाए । जो चन्द २५, ३० हजार आदमी फ्रांटियर में पड़े हैं और सात-आठ लाख सिन्ध में पड़े हैं, उनको आराम से ले आने की मेरी कोशिश है। इसमें तकलीफ तो पड़ेगी। क्योंकि पत्थर के नीचे हमारा हाथ पड़ा है। तो कुछ ठीक तरह से सँभाल कर निकालना है। उतना निकल जाए, तो पीछे कोई झगड़ा हमें नहीं रहता। अब हमें हिन्दोस्तान की हिफाजत के लिए फौज रखनी होगी। और अगर आर्मी मजबूत न हो तो हिन्दुस्तान, आप समझ लीजिए कि, खत्म हो जायगा। तो मजबूत फौज तो हमें रखनी होगी। मजबूत फौज रखनी पड़ी, तो फौज के पीछे कितनी चीजें चाहिएं, उसका नक्शा आप के सामने होना चाहिए। और यह न हो तो फौज रखने की बातें बेकार हैं। बहुत-से लोग मुझसे कहते हैं कि भर्ती क्यों नहीं करते हो। हम भर्ती में आने के लिए तैयार हैं। लेकिन में भर्ती करके क्या करूं? जितनी भर्ती करूं, उसके पीछे कितनी चीजें चाहिए, उसका तो आपको ख्याल नहीं है। क्योंकि खाली आदमी भर्ती करने से काम नहीं होता। हिन्दुस्तान की पिछली सरकार ने पिछली लड़ाई में २५ लाख आदमी भर्ती में लिए थे। लेकिन करोड़ों-अरबों रुपयों का खर्च हुआ था। जब