पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारत की एकता का निर्माण क्या होगा? अब लोहा चाहिए। क्योंकि बन्दूक बनानी हो, तोप बनानी हो, सब चीज़ बनानी हो, तो स्टील चाहिए, लोहा चाहिए। टाटा का एक कारखाना हमारे हिन्दुस्तान में जमशेदपुर में है और हमने उसकी काफी मदद की है । क्योंकि हम यह समझते थे कि वह मुसीबत में था । लोहा एक नेशनल वेल्थ है, राष्ट्र की दौलत है। अगर उसको हम ठीक नहीं रखेंगे, तो हमको मुश्किल पड़ेगी। तो आज भी एक ही कारखाना है । लेकिन आज स्टील (लोहा) पर कन्ट्रोल है । आपको मालूम है कि आज मकान बनाना हो तो उसके लिए स्टील चाहिए, या लोहा चाहिए, तो नहीं मिलेगा । उस पर कन्ट्रोल है, क्योंकि हमारे पास है ही नहीं। हमारे देश में जो लोहा बनता है, वह बहुत कम बनता है । हिन्दुस्तान में ऐसे कारखाने बहुत से चाहिएं। तो हमें लोहे के नये कारखाने बनाने हैं और बनाने के लिए हम क्या करें ? अब आप बताएं कि बड़ा कारखाना बनाएँ, तो अभी तो जो एक ही चलता है, उसमें भी बार-बार स्ट्राइक होती है। दूसरा बनाएंगे, तो वहाँ भी स्ट्राइके होंगी। हम बड़ी आर्मी बनाएंगे, उसके लिए पूरा कपड़ा चाहिए। हमें इधर कपड़ा न मिले तो चल सकता है, लेकिन आर्मी को हमें काश्मीर भेजना है, उसके पास भी कपड़ा न हो, तो वह पहले दिन ही मर जाएगा। क्योंकि वहाँ इतनी ठंड पड़ती है। ठंड न भी हो, तो भी आर्मी का युनिफार्म तो चाहिए और स्पेयर ( फालतू ) भी चाहिए। यह सब चीजें पहले से हमें सोचनी पड़ेंगी। अब वह कहाँ बने ? वह घर में नहीं बन सकता । वह कारखाने में बनेगा। लेकिन कारखाने में तो स्ट्राइक करो। इस तरह कभी काम चलेगा? अब कितनी चीजें मैं आपके सामने रखू? फौज को खुराक चाहिए। खुराक रेल की मार्फत पहुंचती है । आर्मी की सब चीजें रेल में जाएँगी । हाँ, पे कमीशन की रिपोर्ट आई कि रेलवे मैन को इतनी तनख्वाह दी जाए। अब तो भाई, भाव बढ़ गया है, अब ज्यादा न बने तो करो स्ट्राइक । बस सारा काम अटक पड़ा। मैं सिर्फ एक ही चीज़ नहीं देखता हूँ, सभी कुछ देखता हूँ। अब आप गवर्नमेंट में तो न आए, पर गवर्नमेंट के जो नौकर है, उनमें आ घुसे और गवर्नमेंट का कारखाना ही बन्द करने की कोशिश की। तो भाई तुम चाहते क्या हो? कह दो कि हम सरकार में आना चाहते हैं, तो हम जगह दे देने के लिए तैयार हैं। ऐसी बातें क्यों कहते हो, जिसमें आपका भी काम