पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/८०

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बम्बई, चौपाटी बिगड़ता है, हमारा भी बिगड़ता है। तो कोई हद भी है, कोई मर्यादा भी है कि कहाँ तक जाना है ? अब कहते हैं कि हम तीन साल की एकट्स के लिए तैयार हैं। लेकिन हम तो शर्ते लगाएँगे। राज्य हमें चलाना है, और वह कहते हैं कि इस तरह से हम चलाएँ कि बुद्धि वह दें और काम हम करें। इस तरह से काम नहीं बनेगा भाई सिाहब ! मैने बहुत दफा कहा कि एक प्रान्त पसन्द करके आप ले लें और वहाँ आप चलाके बताएँ कि इस तरह से हम काम करेंगे। वह कहते हैं कि आप के दिए हम थोड़े लेंगे। आपको देने का क्या अधिकार है ? हम तो छीनकर लेंगे । अच्छी बात है । इस तरह से वह एक कारपोरेशन जीतने के लिए आए । हुम हँस कर कहते हैं, लीजिए। स्ट्राइक हुई। कहते हैं कि कारपो- रेशन का चुनाव होनेवाला है, इसलिए आए हैं । अब कितने सोशलिस्ट कारपोरेशन में थे, वह देख लीजिए। उसका इतिहास देख लीजिए कि कार- पोरेशन में क्या-क्या काम उन्होंने किया। जितने और लोग कारपोरेशन में आज तक थे, जो पाँच-दस साल से वहाँ बैठे थे। उनका कारपोरेशन के काम का इतिहास देखिए । जब डिसक्वालिफाई (पदायोग्य) होने का समय आए, तब जा कर हाजिरी दें। तब तक तो हाजिरी भी न दें। अब इस तरह से काम करो, तब तो क्या काम होगा? चाहो तो एक कारपोरेशन को आप सँभालो। यह तो बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन संभालना चाहिए । अब कहते हैं कि यह गवर्नमेंट बुरी है, ठीक काम नहीं करती है। जैसे पहले चलती थी वैसी ही है, उसमें कोई फर्क नहीं पड़ा। असल में फर्क पड़ा उनमें। दूसरों में कोई फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि पहले वे ऐसे नहीं थे, अब हो गए हैं। तभी तो उनको कांग्रेस में से निकालना पड़ा। कहते हैं कि हम कांग्रेस में से इस्तीफा देंगे। अच्छी बात है, दो। जो लोग कांग्रेस में काम करेंगे, काम का बोझ तो उनके ऊपर पड़नेवाला है। मुझे दिल में खटका रहता है कि यह क्या हो रहा है। मैं आप लोगों को यह समझाना चाहता हूँ कि कारखाने अब हमारे हैं और हमें ज्यादा पैदा करना है । तब कहते हैं कि नेशनलाइज़ (राष्ट्रीयकरण ) करो। यह तो कैपिटलिस्ट लोग धन पैदा करके ले जाएंगे। आपने हिसाब नहीं देखा कि हम कितना रुपया टैक्स में लेते हैं ? १६ आना में हम साढ़े पन्द्रह आना तक टैक्स ले लेते हैं। तो कैपिटलिस्ट लोग हमसे कहते हैं कि हम क्यों