पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/८१

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भारत की एकता का निर्माण पैदा करें ? हमारे बजट में पिछली दफा हमने इतना टैक्स लगाया कि उनको चोट लगी। तो इस हालत में हमें काम करना है। यदि देश को अपना नहीं समझना, तब तो आप भूल जाइए कि हमने स्वराज्य क्यों लिया है । या फिर अंग्रेजों को पीछे बुला लो। या किसी दूसरे को राज दे दो कि हमारे काम की बात नहीं है। नेशनेलाइजेशन ठीक बात है। कराची कांग्रेस से हमारा रेजोल्यूशन है कि सब इंडस्ट्री नेशनेलाइज करना है । लेकिन यह तो रेजोल्यूशन है । हम कौन-सी चीज करके बताते हैं, वह हमें पहले देखना चाहिए। कोई काम करता है, तो उसको काम न करने दो और आप खुद भी काम न करो। इस तरह करने से तो कोई काम नहीं होता। यदि गवर्नमेंट इतनी ताकत रखती है कि सिलेक्ट इंडस्ट्री (चुना हुआ व्यवसाय) बनाए, तो उसे बनानी चाहिए। कांग्रेस का भी तो यही मकसद है। सरकार कोशिश भी करती है कि हमें सिलेण्ट इंडस्ट्री अपनी बनानी है। जैसे टाटा ने कारखाना बनाया है, वह हम भी बनाएँ । क्यों न बनाएँ ? और खुद टाटा भी कहता है कि आप बनाइए। क्योंकि हमारे पास तो जगह बहुत है । लेकिन गवर्नमेंट के पास, हमारे पास रिसोर्सेज़ ( साधन ) नहीं है, इतनी ताकत नहीं है, इतने आदमी नहीं हैं। हमारी गवर्नमेंट का कल ही तो जन्म हुआ है। हमारी सरकार तो अभी चार महीने का बच्चा है। उसके ऊपर सब बोझ डालो, तो वह गिर जायगा। तो जितने हमारे लोग बुद्धिमान हैं, जिनके पास अनुभव है, उसका उपयोग भी हमें करना है । मुल्क के फायदे के लिए जितना और जहाँ तक हो सके, [ कोशिश करके उनको भी साथ लेना है। हमारी कोशिश तो यह है कि नेश- नैलाइज करना सम्भव हो, तो हम वह भी करें । और वह न हो सके तो जितने और लोग अनुभववाले हैं, उनको साथ लेकर जहाँ तक उनको समझावें [ वहाँ तक समझा कर साथ लें, और मजदूरों को भी समझाने की कोशिश करें। मैं जो कहता हूँ, उसका मतलब यह नहीं कि मजदूरों को न्याय से जो देना हो वह नहीं देना। वह उन्हें ज़रूर देना चाहिए। क्योंकि उन्हें उनका भाग पूरा नहीं मिलेगा, तो वे अपने दिल से काम नहीं कर सकेंगे। लेकिन नेशनलाइज करनेवाले लोग कहते हैं कि आप देखें कि इंग्लैण्ड में क्या हाल है । मैं कहता हूँ देखिए, आज इंग्लैण्ड के मजदूर के अपने हाथ में राज्य है । वह समझ गए हैं कि इस तरह से तो हमारा काम नहीं चलेगा, तो खुद ज्यादा काम करते हैं। "ज्यादा