पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

न ७४ भारत की एकता का निर्माण जैसा चाहें, वैसा भविष्य बना सकें। अच्छा भविष्य बनाने के काम में अगर आप हट जाएं और साथ न दें, तो यह काम बिगाड़ देनेवाली बात है। तो बम्बई में आपको इस प्रकार की आबोह्वा पैदा करनी चाहिए। आज मैंने देखा तो मुझे दुख हुआ कि यहाँ जो हमारे धनिक लोग हैं, कपिटलिस्ट हैं, उनको गवर्नमेंट का जितना और जिस प्रकार साथ देना चाहिए, उनके और सरकार के बीच जो सहयोग होना चाहिए, मेल होना चाहिए, वह नहीं है। कांग्रेस और गवर्नमेंट के बीच में जिस प्रकार का मेल होना चाहिए, वह भी मैं यहाँ नहीं देखता हूँ और लोगों का सरकार के साथ जिस प्रकार का सहयोग होना चाहिए, वह भी मैं नहीं देखता हूँ। मैं तो बम्बई में बहुत दिनों बाद आया हूँ। मुझे लगता है कि बम्बई शिथिल हो गया है। किसी ने यह समझ लिया कि १५ अगस्त को हमको आजादी मिल गई, अब क्या बाकी है। अब जो चाहे सो करो । तो मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि बम्बई गिर जाएगा। बम्बई का आज हिन्दोस्तान में पहला नम्बर है, जिस तरह अभी तक हिन्दोस्तान समझता है कि बम्बई से ही सब पौलिसी चलती है, तो आपकी वह जगह गिर जाएगी। तो आजकल यहाँ हमारे भाई डा० श्यामाप्रसाद इसलिए आनेवाले है कि कपड़े के कंट्रोल का क्या किया जाए। उसको ज्यादा पैदा करने के लिए क्या किया जाए, उसके दाम का क्या किया जाए। उसके लेबर का, और उद्योगवालों का क्या किया जाए, इस सब पर हमें विचार करना है । उन्होंने मेरी मदद मांगी तो मैं उनका साथ देने के लिये आया हूँ। लेकिन यदि आप लोग साथ न दें, तो वह चीज़ नहीं चल सकेगी। तो मैंने आपको जो इतनी बातें समझाई हैं, उन पर आप ख्याल रखें और यह समझे कि यह सब बातें आपको जरूर करनी है । अगर बम्बई गलत रास्ते पर चलता है, तो उसका बोझ भी आप पर ही पड़ेगा और उसका नुकसान भी आप ही को उठाना पड़ेगा। बम्बई सही रास्ते पर चलेगा, तो उसका फायदा भी आपको मिलेगा और उसमें आपकी इज्जत भी बढ़ेगी। मैं चाहता हूँ कि बम्बई अपने सही रास्ते से विचलित न हो जाए । ईश्वर आप को सफलता दे। धन्यवाद ! 1