पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/८५

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७६ भारत की एकता का निर्माण फाका छूटने के बाद भी, अगर वे कारण कायम रहे, जिन के लिए उनको फाका करना पड़ा, तो वह उससे भी बुरा होगा। तो उसके लिए उसका रहस्य हमें समझ लेना चाहिए। तो मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि जो कुछ आज हुआ, वह तो हो गया। लेकिन अब हमें हिन्दुस्तान में कम-से-कम इतनी आबो- हवा ज़रूर पैदा कर लेनी चाहिए कि यहाँ दो कोमों के बीच जो जहर भरा है, वह निकल जाए। हिन्दुस्तान में रहनेवाले सिक्ख, हिन्दू तथा मुसलमान दोनों के बीच दोनों के हितों में, जो अन्तर बन गया है, वह टूट जाए और वे एक दूसरे के साथ मिलकर रहें, ऐसी आबोहवा हमें पैदा करनी चाहिए। मैं जानता हूँ कि यह काम कठिन है, आसान नहीं है। क्योंकि जो हालत वहां पाकि- स्तान में वनती है, उसका कुछ-न-कुछ असर हमारे मुल्क पर पड़ता ही है। लेकिन जब हमने हिन्दुस्तान के दो टुकड़े मंजूर कर लिए, तो हमें समझना चाहिए कि वहाँ कुछ भी हो इधर हमारी जो जिम्मेवारी है, वह हमको अदा करनी ही है । अगर हम उसे अदा न करें, तो हमारा काम नहीं चलेगा। तो आज उसके बारे में मैं ज्यादा नहीं कहूँगा। लेकिन मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूँ, जो आपको अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए। आपने आजादी हासिल की, मुल्क को परदेसी हुकूमत में से मुक्त किया। लेकिन इतनी कुर्बानी करने के बाद हमारा उद्देश्य तो पूरा हो गया, तब भी जितनी खुशी हम लोगों को होनी चाहिए, बह हमें नहीं हुई। उसका कारण यह है कि एक तरह से हमने आजादी तो पाई। लेकिन उसके बाद हिन्दुस्तान को जिस रास्ते पर हमें ले जाना था, उस रास्ते पर हम उसे ले नहीं जा सके। जिस प्रकार का हमारा स्वराज्य होना चाहिए था, वैसा म बना नहीं सके। तो हमारे चन्द लोग यह बात नहीं समझते हैं और कहते हैं कि यह राज तो वैसे ही चलता है, जैसे पुराना राज चलता था। कई नवजवान कहते हैं कि यह राज चलाने वाले धनिकों के हाथ में पड़े हैं। यह तो कैपिटलिस्ट (पूंजीपति) की गवर्नमेंट है। वह लोग नहीं समझते हैं कि हम लोगों ने इतने थोड़े समय में कितना काम किया है। मैंने चन्द बातें कल बताई थीं कि हमने क्या-क्या किया और कितने रोज़ में किया। हमने १५ अगस्त को पावर ( शक्ति) ली। उसे अभी ५ महीने से ज्यादा नहीं हुआ। अब इन पांच महीनों में हमने जो काम किया, वह मैंने मुख्तसिर तौर पर बताया कि हमने दो प्रान्तों के टुकड़े किए .