पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/८७

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६ 1 भारत की एकता का निर्माण चन्द लोग यहाँ रहे, बाकी सब चले गए। आजादी प्राप्त कर लेने के बाद हमारा और मुल्कों के साथ व्यवहार शुरू हुआ और बड़े-बड़े देशों में हमें अपने एलची भेजने पड़े। उन एलचियों के साथ अच्छे-अच्छे चुनिन्दे आफिसर भी हमें भेजने पड़े। नतीजा यह हुआ है कि आज हमारे पास पुरानी सर्विस के लोगों का सिर्फ चौथा हिस्सा बच रहा है, और इसी २५ फी सदी सर्विस से हम हिन्दुस्तान का सारा कारोबार चला रहे हैं। नई सर्विस तो हमारे पास कोई है नहीं। वह तो हमें बनानी पड़ेगी। इस तरह से तो लोग मिलते नहीं, और जिसके पास अनुभव नहीं है, जिसने कभी काम नहीं किया, वैसे आदमियों को ले लेने से तो काम चलता नहीं है। राज चलाने के तन्त्र का तीन हिस्सा टूट गया। सिर्फ चौथा हिस्सा बाकी रहा है, और उसी से हम काम चला रहे हैं। इस पर भी पिछले चार पाँच महीनों में हमने इतना काम कर लिया। और साथ-ही-साथ कांस्टीच्यूएन्ट असेम्बली में हमारा जो नया संविधान बनाने को है, वह करीब-करीब सब पूरा कर लिया है। खाली उसको अच्छी तरह से कानून के रूप में रखने का काम ही बाकी बच रहा है । संविधान के सब सिद्धान्त हमने ते कर लिए है। वह भी तो बहुत बड़ा काम था, वह हमने पूरा कर लिया। जब हमने चार-पांच महीने में इतना काम कर लिया, तो जो भाई कहते हैं कि आप लोग तो पुराने ढब से काम करते हैं और अगर आप इसी तरह से काम चलाएंगे, तो हम उसको पसन्द नहीं करेंगे और कांग्नेस में से निकल जाएँगे, तो वह क्या ठीक है ? अगर वे निकल जाएंगे और मुल्क की बदकिस्मती होगी, तो सम्भब है कि कांग्रेस टूट जाए। हो सकता है कि हम भी उन से आजिजी करें कि भाई, हमारे साथ रहो। लेकिन हमारी समझ में नहीं आता कि यह क्या बात है कि कुछ लोग अपनी आँख से देखते हुए भी कि मुल्क में इतना कुछ हो रहा है, यह अनुभव नहीं करते कि उसमें हमारी भी कोई जिम्मेवारी है। उन्हें यह सोचना चाहिए कि बोझ उठाने में उनका भी कोई हिस्सा होना चाहिए, न कि जो लोग बोझ उठाते हैं खाली उनकी पीठ पर गाली ठोकते रहना ही उनका काम है । जब मुल्क का टुकड़ा हुआ तो आल इण्डिया कांग्रेस कमेटी में सब की राय ली गई कि पाकिस्तान को हिन्दुस्तान से अलग करना चाहिए या नहीं । तो उस वक्त जो लोग अपनी राय न बना सके, अब वे लोग हमसे कहते हैं कि आप तो पुराने ढंग से राज करते हो। क .