पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/९४

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शिवाजी पार्क, बम्बई ८३ दूरों से बहुत ज्यादा है। लेकिन असल में वह भी तंग आ गया है। अब तो उसने कहा कि ऐसा समय आ गया है, जब हमें निश्चय कर लेना चाहिए और एक जगह पर अड़ जाना चाहिए कि अब आगे किसी स्ट्राइक को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। तब हमने कहा कि ठीक है । इस पर हमने यह फैसला कर लिया है। आज यह जो मजदूर वहाँ हड़ताल कर बैठ गए हैं, उनकी जगह पर हमने एक छोटी-सी फौज तैयार की है। वह लोग लश्कर में भर्ती होते हैं। ये लोग सब काम करने को तैयार रहेंगे। पब्लिक यूटिलिटी सर्विस ( जन- कल्याण की सेवाएँ ) के कामों में जब कभी मज़दूर स्ट्राइक करेंगे, तो हम इन लोगों से काम लेंगे। तो ऐसी एक फौज हमने बनाई है। उनसे हम कहेंगे कि यह काम तुम करो और वे लोग नहीं करते हैं, तो उसको वैठ लेने दो। तो अब यह नए लोग काम कर रहे हैं । लेकिन वह मजदूर बैठे हैं, उसका क्या होगा? तब मैंने कल तो कहा है कि अब हम यह फैसला करनेवाले हैं कि इन मजदूरों की जगह पर दूसरे मजदूरों को भर्ती करें। और फिर यह पुराने मजदूर कहेंगे कि उनकी जगह चली गई। तब वह रोते रहेंगे। आज अखबार में मैंने देखा कि वही एक दिन की हड़ताल करवानेवाला लीडर अब ३ हाते की हड़ताल करने को कहता है । वह कहता है कि बम्बई के १० लाख मजदूर उसके पीछे हैं । वह जो कुछ चाहता है, अगर वह नहीं मिलेगा तो बम्बई के १० लाख मजदूर काम छोड़ देंगे । आप समझ लीजिए हम कहाँ जा रहे हैं और यह भी समझ लीजिए कि गवर्नमेंट चलानेवाले हम लोग कोई पूंजीवादी नहीं है। यह जो काम हो रहा है, वह तो गवर्नमेंट करती है। वहाँ से पैदा करके हमें कोई खानगी वसूली नहीं करनी है। लेकिन उनका मकसद तो यह है कि कैपिटलिस्ट में और मजदूरों में झगड़ा हो । मुझे बड़ा अफसोस होता है कि यह क्या बात हो रही है। मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि अब समय आ गया है कि बम्बई की जनता यह स्थिति समझ ले। क्या बम्बई, क्या कानपुर, क्या कलकत्ता, क्या अहमदाबाद, उन सभी शहरों में जहाँ बड़े-बड़े कारखाने हैं, सब लोगों को समझना चाहिए कि गवर्नमेंट तो आप की है । लेकिन गवर्नमेंट चलानेवाले लोग अब तंग आ गए हैं। कम- से-कम मैं तो इस तरह से तंग आ गया हूँ। तो मैं इस तरह से नहीं चला सकता । क्योंकि हमारे सर पर यह बोझ तो पड़ा है, और साथ-साथ और मुसीबतें भी हैं, काश्मीर की, जूनागढ़ की, और भी बहुत-सी मुसीबतें हैं,