पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

। शिवाजी पार्क, बम्बई इधर हुआ और क्या उधर हुआ, इस सब का फैसला हमें करना पड़ेगा और नं [ करें तो राज नहीं चल सकता। न इधर, न उधर । क्योंकि हमें सफाई से काम करना पड़ेगा । गैरइन्साफ से काम नहीं चल सकता। यह कहा जाता है कि हिन्दुस्तान में जो लोग चले आए हैं, उनको हमारे यहाँ से लौटकर पीछे जाना है और यहाँ से जो लोग उधर चले गए हैं, उनको लौटकर पीछे आना है। ठीक है, आपस में बैठकर एका कर सको, तो करो। लेकिन उसके लिए दोनों गवर्नमेंटों को अनुकूल आबोहवा पैदा करनी पड़ेगी। उसी के लिए गान्धी जी ने फाका किया । अब उसमें से कह तक फल निकलता है, वह सब देखने की बात है। अच्छा फल निकल आए, तो बहुत अच्छी बात है। उससे बेहतर और कोई बात नहीं हो सकती। वहीं हम चाहते हैं। तो जब हमारी यह हालत है, तो हमें अलग-अलग जूथ बनाकर एक दूसरे को भला-बुरा कहना समझदारी की बात नहीं है। हम सब मिलकर काम करें, यही समझ का मार्ग है। कहता हूँ कि कम-से-कम तीन-चार साल तक तो मिलकर काम करो। हमें कुछ काम करने दो, तब तो कुछ काम बनेगा। लेकिन यह न करो, और लगे रहो कि चुनाव में आकर दिखाएँ तो उसके लिए ऐसा करने की जरूरत नहीं है। यदि आपको इसी तरह से करना है, तो आइए, आपस में बैठ कर हम फैसला कर लें। भाई, अगर आप बोझ उठाने को तैयार हों, तो हम देने के लिए भी तैयार हैं। क्योंकि आज तो मैं देखता हूँ कि कुछ प्रान्त की असे- म्बलियों में भी अगर चार पाँच जगहें खाली हो जाएँ, तो उनका बोझ उठाने के लिए भी कोई योग्य व्यक्ति उनके पास वहाँ तो नहीं है। हां, बाहर हैं। आपने एक दिन की हड़ताल करवाई, तो आप कहते हैं कि आपकी लीडरशिप कायम हो गई। एक दिन की हड़ताल से कभी मजदूरों की लीडर- शिप सिद्ध नहीं होती है। आपकी लीडरशिप तो तब सिद्ध होगी, जब आप मजदूरों के पास से ऐसा काम कराएँगे, जो मजदूरों को पसन्द नहीं, लेकिन सही काम है। अगर हम इस तरह से काम कर सकेंगे, तो हम अपने मजदूरों को स्वराज्य में सही तालीम भी दे सकेंगे। दूसरी तरह से काम नहीं चलेगा। अब दूसरी बात यह है कि हमारा यह हिन्दुस्तान बहुत बड़ा मुल्क है। पाकिस्तान को छोड़ देने के बाद भी जो बच रहा है, वह बहुत बड़ा है। उसको हमें एक सूत्र में संगठित करना है। परन्तु हमारे में एक ख्याल पड़ गया है,