पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१११

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भारतके प्राचीन राजवंश-
 

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मारतके प्राचीन रामचंश अर्यात उत्पलराज किराडू छोड़ कर ओमियाँ नामक सिने भा' वसा । सचियाय नामक देव इस पर प्रसन्न हुई, उसे धन बेतलाया। इसके बदले उसने ओसियमें एक मन्दिर वनवा दिया। | ३–आरण्यराज । यह अपने पिता उत्पलराजको उत्तराधिकारी था। | ४-कृष्णराज प्रथम ।। यह आरोग्यराजा पुन और उत्तराधिकारी था। सिरोही-राज्य बसन्तगढ़ नामक इिलेकै होहहरमें एक बाबीं है । उसमें विक्रम संवत् १६६९ का, पृपालकै समयका, एफ लेस है । से देखा है: धरानचे सत्पलाञनाम: झम्मच ती प्रभूव । तस्माद्दाकृणरा दियातूझते किले वासुदेव ॥ अर्थात्---इस ( घुमरान) के वशमें उत्पन्न हुन्न । उत्तम पुत्र आरण्यरान और आरण्यराजको पृच गद्भुत गुपवाड़ा कृष्णराज गा । ऑफिसर कलाहर्नने इस रानाका माम अद्भुत कृष्णन झिस है, पर मह उनका भ्रम है। इसका नाम कृष्णाराज़ ही या । अद्भुत हद तो ६र इसका बिशेपम है । सके प्रमाण विक्राम-सीतु १३७८' की आनके बिमारा ? ' नामक मन्दिरकी प्रशासका अरु के हम नॉर्न देवे हैं--- दिन्यान्डदेयर पुरारिराखीझवझताप | अन्—उसके घशम थर कान्हड़देव हुभा । कान्हदेश कृष्णदेवका है। अपभर है, अद्भुत कृष्णदेवा नहीं । इससे यह माटूम इझी कि उसे कान्हव मी ते थे। {१}En. Ind ,1el, x,P 14R,