पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/११६

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परमार वंश ।
 

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परमार-चंश । |१०-चैवभट । अह किसका पुत्र था, इस यातका अबतक निश्चय नहीं हुआ। वस्तुपालनपालके मन्दिरकी बिम-संवत् १९८७ फी प्रशस्तिके चौंतीसवें श्लोक पूर्वार्द्धमें लिखा है: | घन्घुम्नुभटादयस्ततस्तेद्यपदाजितोऽमनन् । अर्यात-घूमराजके अंशमै थन्धुछ और भुवभट आदि वीर उत्पन्न हुए । अही बात एक दूरे पड़-शिलालेखसे भी प्रकट होती हैं । यह दण्ड-लेख आबूके अचलेश्वर मन्दिरमें अष्टोत्तरशतड्केि नीचे लगा हुआ है। इसमें वस्तुपाल-तेजपाल घंशा वृत्तान्त होनेसे अनुमान होता है कि यह उन्ध्रा सुवाया हुआ है। इसके तेरहवें लोकमैं लिखा है | अपरेऽपि ग सन्दिग्धा मधुन्धुभद्राय ! यौंपर इनकी पदिय निश्चित रूपसे पता नहीं लगता। ११-रामदेव ।। यह भटफा देशज या । यह बात स्तुपाल-गपालकी प्रशस्तिके चैंतीसवें श्लोक उत्तराईसे प्रकट होती है, ययुलेऽञ्जन पुमान्मनौरमा रामदेव विं फानदेवात् ।। ३४ ॥ अर्थात् घुषमटके वशमें अत्यन्त सुन्दर रामबै नमिक राजा हुआ । सही यात अचलेश्वरके लेख भी प्रकट होती है.-- धरामदेवनामा घामादपि सुन्दर भूत् । १२-विक्रमसिंह । ययचे इस का नाम धस्तुपाल लैजपाल और चलेम्परर्फी प्रश| स्तियोंमें नहीं है तथापि यायकाय लिया है कि जिस समय चोळुझ्य राजा कुमारपाटनै चौहान अर्णोराज (अना) पर चढ़ा की उस समय अर्यात विक्रम-संयत् १३२७ (ईवी सन् १९५०) में, आबू पर