पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/११९

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भारतके प्राचीन राजवंश-
 

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भारतकै यार्चन राजवंश कले उसे बिलकुल ही साली मिले । माचू भी चेक एह में रामहरी सौर दायिर्स ( पार्ष) पड़ी सेना और नेने तैयार थे। उनका मौरदा म दूत होनेसे वनपर हमला करने की हिम्मत सम्मान न प । पहले इंध स्थान पर सुलतान शहाबुद्दीन गौरी घायल हो चुका था । अतः इनको मर्म हुमा कि कई सैनापत (तयुद्दीन ) की भी घी ९ा न हो । मुसम्मानको पूर्व प्रकार झागापाच्चा करने दैख दिइ योद्धाने अनुमान किंया कि मैं इरे गर्ने हैं। अतः घाटी छौड़कर वे मैदानमें निश्छ भागे । इस पर दोनों तरफ युबकी तैयार हुई। वारी १३ राउअवॐ प्राज्ञःकालने मयाह तक भाप लड़ाई हुई । लड़ाई में हिन्दुनै पाठ खिलाई। उनकै ५०,10 आदमी मारे भये और ३०,००० कैद हुए। | तारीख़ फ़रिश्ता पाळी स्थान पर बाली लिखा है । ऊपर हम आबू नकी पार्टी सुल्तान शहाबुद्दीन गेरीका पायल होना लिया चुके हैं । यह युद्ध हिजरी सन् १७४ ( ईसवी सन् ११७८-विक्मसंवत् १२३५) में हुआ था । सयकृते नासिने लिखा है कि जिस समय झुलतान मुटतानके मार्ग नहरबाळे ( अनलाई) पर म्या उस समय वहाँका राजा भीमदेव बाळू या । पर उसके पास घईभारी सेना और बहुत हाथी थे । इसलिए उससे हारकर सुतनिक लौटना पड़ा। यह पढ़ना हेनरी ग्रन ५७४ में हुई थी। | इस अजमें भी धारावर्षका विद्यमान होना प्रिय है। यह सुन मी आबूके नीचे ही हुमा म । उस समय में धाराघर्ष चूमा रजिी और नयतका सामन्त्र या । । भारावर्षकै समयके पच लेस मिले हैं। पहला विन्म-जत् ११३८ ( ईसची सन ११६३ ) का लेख कायदा (सि ही राज्य ) के का? विश्वेअरके मन्दि । दुसरा रिकमबत् १२३७ को ताम्रपत्र हापक में । इस ताम्रपत्रमें घाराबर्ष मन्त्रीका नाग,फोविदास रिग है।- यह ताम्रपत्र इंडियन ऐटिं । इसई ...१४ ६ अगस्त ६८ ({ "