पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

मारतर्फे माचीन जयंदा किराके परमार। विक्रम संवत् १२१८ के राष्ट्र में प्रकट होता है । कूगरज द्वितीयसे परम कि एक दूसरी शाखा चली । उक्त में इस आमाके राजाके नाम इस प्रकार मिलते हैं: १सछिराज ।। ग्रह कृष्णनिका पुत्र प्रा और बड़ा दाता या। | २-उदयराज ।। यह सोइरानका पुगे । । यही उसका उत्तराधिका हुआ । यह बड़ा वीर यी । इसने चील ( Coromandal Cost }, गॉड ( उक्त बङ्गाल ), फगट ( दर्नाटक और माइसर राज्य असिएसका देश ) और मालको उत्तर-पजिमीं प्रदेश विजय किया । यह खोली सिंहराज़ जयसिंहका सामन्त था । | ३--सोमेश्वर ।। यद् उदयराजका पुन या । उसका उत्तरापिंकारी भी यही हुआ । यह भी बढ्य घर या । इसने नयाई कृपासे हिंदुराजपुळे राज्यको फिरसे प्राप्त *या । दुगारपालकी कृपा उसे इसने दृइ बना धिर । इसने कराहमें बहुत सायं नङ राप किंया । विक्रम-संवत् १२१८ में आश्विन मास के शुक्ल प्रतिपदा, मुम्बाको, इंदु हर दिन इ इसने राजा जनसे सन र बीई दे दिये । उससे दो किंवा fi तनुफेट (तोर-सहरमें } र नववर ( नासर-जोधपुरेमें) इसने छान ले । अन्त जनों घालुक्य कुमारपाटके अर्धन काके में सूर्यान उसे टोड़ा ॐि । ॐ चाने इतके समय पूर्वोक्त लेसने प्रष्ट होती है। 47 - ११३६ (ईसवी व ११ १५) मा मात्र ११ का एक है। टि-राज्य माग्टी गॉवमें मिला है । यह रा (सोन) के पुत्र इमरानकै मपाई। पर, इसमें इस राजाकी जाति का उस नहीं । अत' यई राज नन धा, इन विपद पर काम करना ह सकते। | (१)मह स यता हुआ है। पढ़ः राम्भ ३i दस 4 ५1 ॐ 1 गई दो बाम ।