पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

चौतफ परमार दाँतके परमार 1 | इस समय के परभ वंशमें ( आबू पर्वतके नीचे, अम्बा भवानीक पास ) दाताके राजा हैं । परन्तु थे अपना इतिहास व ही विचित्र इँगसे बताते हैं में अपने यूके परमारोंके वंशज मानते हैं। पर साय ही यह म ते हैं कि हमें मालवेंकै परमार राजा उद्यात्य पुश जुगदेवके वंशज हैं। अन्धचिंतामायके गुजराती अनुक्रमें लिये हुए मालवेंकै परंगाई इतिहासको इन्होंने अपनी इतिहास मान क्या है । पर साथ ही वे यह न मानते कि मुके थे भाई सिंधुग' पुन भेजकै पीई कमशः | राजे हुए उदयकरण ( उदयात्य), देवकरण, सैमकरण, सन्ताश, समाज और शालिवाहन | इनको इन्होंने छोड़ दिया है। इसी शालिवाहनने अपने नामसे श०सं० चलाया था। इस प्रकारकी अनेक निर्मूल कल्पित बातें इन्होंने अपने इतिहासमें भर ली हैं।ऐसा नाम होता है कि जब इन्हें अपना प्राचीन इतिहास ठीक ठीक न मिला तर इघर उघरसे जो कुछ अण्द्ध दण्ड मिला उसे ही इन्हेने अपना इतिहास मान लिया । हिडदेव पहेको जितना इतिहास हिन्दू-राजस्थान नामक गुजरातीपुस्तफमें दिया गया है उतना प्रयिः सर्भ कल्पित है। जो थोडासा इतिहास प्रबन्धचिन्तामणिसे मी दिगा गया है उससे पता- ' थाका कुछ भी सम्न्ध नहीं । परन्तु इनके लिये कान्हदेवके पीछेके इतिहासगं कुछ फुछ सत्यता मालूम होती है । समय हिंसा भी यह ठीक मिलता है । यह कान्हव अचूके राजा धारावर्षका पत्र और सोमसिंहको पुत्र गाइसको दूसरा नाम रणरान था ! यः दिम संच १३०३ घाद तक रिभान था । वातावाले अपनेको कान्हुदै पुन फल्पणवा पेंशज मानते हैं । अतः यह कल्पणदेव कन्दैिवका छोटा पुत्र और यूके रामा प्रतापसिंहकी छोटा भाई होना चाहिए।