पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१३१

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भारतके प्राचीन राजवंश मलचेके परमार । यद्यपि, इस समय, इस शाखाके परमार अपनेक विक्रम संवत् चलानेवाले विक्रमादित्य वंशज बताते हैं, परन्तु पुराने शिललें, सागपन और ऐतिहासिक पुस्तक में इस विषयका कुछ भी मन नहीं मिलता । चई मु, मेज़ आदि राजाओंके समयमें भी सुई ही खयाल किया जाता होता, तो मैं अपनी प्रतियोंमें विक्रम वाग का गौरव प्रगट किये विना कभी न रहते । परन्तु पुस समयीं प्रशस्तियों दिमें इस विषयका वर्णन न होनेसे केवलं आग झल कपिल दन्तकथापर थिम्घास नहीं किया जा सकता । | परमाई खो' तथा पद्मगुप्त (परिमल) चैत नवसाहस दरित नामक कवियों लिसा है कि इनके मूल पुरुपकी उत्पत्ति, ( १) भग्ल्यू / हिमगिरिता सिदद दी धन्यवैिः इन प्रानभाजामभितफलोत सुंदरू । विभामिन वनितन [ छ वो यत्र गा भाषाजने चारोमिङ्मापुत्रीधन काक एय [५] मायचा परन्नुमारिन्यै स तत मुनि । इवाचे परमार [ कुमपा ] भिन्द्र भविष्य [६] दवासिलय इमपामरीदारासीत् । चपेन्द्र किंवान्न धौ ( } यति नृपत[मा ] [५] {-उपुर–बाहिर–प्रति , एर्गिमाफिया इचिवा, जिल्द), भाग १ (२) मंशः प्रवक्ते अस्मादिराजन्म:२९ ।। नांत गुतैर्गुदा नृमुकाफीव ॥ ५५ ॥ रास्मिन् 'गुग्नतापो निधिमईत ।। उद इन पने जा दुग्नभि , 7 ५६ ।। (-नयसाईरापरित, इ १)