पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१३२

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मालवे परमार । आनू पर्वापर, मसिएकै अग्निकुंण्डसे हुई थी । इसलिए मालवॐ परमारीका म, आबूके परमारों शावमेिं ही होना निश्चित है। मालबेमें परमारोंका प्रयग राजधानी धारा नगरी थी, जिसको में अपनी फुल राजधानी मानते थे । उनको उन्होंने पीछसे अपनी राजधानी बनाया। | इस वंशके राजाका झोई प्राचीन हस्तलिखित इनिहास नहीं मिलता । परन्तु प्राचीन शिलालेख, ताम्रपन्न, नवसासाङ्क चरित, तिलकमञ्जरी आदि ग्रन्थोसे मका जो कुछ वृत्तान्त मालूम हुआ है उसका संक्षिप्त वर्णन इस गन्यमें किया जायगा। १-उपेन्द्र । इस शास्त्रार्फ पहले राजाका नामि कृष्णराज मिलता है। उसका दूसरा नाम इन्द्र था । यह भी लिखा मिलता है कि इसने अनेक ज्ञ फिरों तथा अपने ही पराक्रम बहुत बड़े राजा होने का सामान पाया । इससे अनुमान होता है कि मायाफे परमार में प्रथम राज ही स्वतन्त्र और प्रतापी राजा हुआ । नबसे1साडूचरितमें लिखा है कि उसकी यश, सताके आनन्दका कारण या, हनूमानकी तरह समुहको संघ गया। इसका शायद यही मतलब होगा कि शीना नामका प्रसिद्ध विदुषीने इस प्रतापी राजाका कुछ यशवर्णन किया है। ( ५ ) उन्ना इधर एयरवनुम् ।। अफार मभना भैन मयूपङ्किता मी || ५८ ॥ (नवमात्र , गर्ग ११) (३) भाडेंनी पुस्तकों में इसकी रानीको नाम भीदेवी और बड़े पुत्र का नाम अरार शिरा मिलता है। परन्तु इमपानसे इस पर विधारा २ किया जा सवती । की कि पार्ने इराक पुग्नफा नाम शिवराज भी हिरा मिलता है। (३) सदागतिप्रकृतेन सोयातिदेवाना। इनूमतैय कर स्नाऽभ्यतगागर ॥ ७ ॥ (-न- सा• *, सर्ग ११ ]