पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१३३

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मारतकै प्राचीन राजवंश अनन्धचिन्तामणि और भौगन्धर्म इस दिदुर्घीका होना ना भोज समयमें लिया है। परन्तु, सम्भव है कि वह कृष्णराज समयमें ही हुई हो, क्य% मोजप्रवन्ध आदिमें काबिस, यम, मयुर, माघ आदि भीजसे बहुत पहले के कवियोंङ्का वर्णन इस तरह किया गया है जैसे वे भौजके ही समयमें विद्यमान रहे हैं। अत एव सीताका भी उसी समये होना लिख दिया गया हो तो क्या याश्चर्य है। कृष्णराजके समय कोई शिलाख अबतक नई मिला, जिससे इसका अराली समय मालूम हो सकता । परन्तु उसके अनन्तर उठे राजा मुझका देहान्त विक्रम-संवत् १०५०और १०५४ (ईसवी सन् १९३ और ९९०)* बीचमें होना प्रसिद्ध इतिहासचा पडित गौरीशङ्कन चन्द' झार्ने निश्चित किया है। अतएव यदि हम हर एक राजाका ज्य-रामय २० बर्ष मानें तो कृष्णाजका समय है ९१० १,३० (८५३ र ८७३६० ) के बीच जाप 1 परन्तु कप्तान स्व० ६० लूआई, एम० ए० और पण्डित कानाथ कृण्ण लेने डाऊर यूळरके मातानुसार हर एक राजाकी राजत्यकाळ २५वर्ष मानकर कृष्णराजका समय, ८००-२५ ई निश्चित किया है। ३-दरासह यह राजा अपने पिता कृष्णराजके पीछे गद्दी पर बैठ्य' । (1)ौरक्कमका प्रान इतिहास, माग १, पृ० ७७।११)जैन-दरिदुराग में, जिगी समाप्त कसंवत् ५५१ वि० ० ८४+ = ६• सं= ७८१ ). गि ३ कि इस समय स्त्रन्तीय राजा कमात्र है ।इयर उसः सैनके अ६ परेमाका अधिकार माथे पर हुअा होगा। {}} परमग्र या घर ऐ! भाला, पृष्ट ४६ । { } सनरीरित्रामस्ट्रीय पाप वा ।। 11: प्रजातघाईतम्भवप्रध:[८] ( ए•ि इ•ि , •ि 1, • ५) १०