पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१३८

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मालये परमार। शुनस्वस्म विभूषिताखिलधराभाग गुफास्पदं यीकान्तसनस्तबिमवाधिन्याप्यार्थहोदयः । यक्तृत्यो+विश्वकैकलनप्रज्ञातानमः। श्रीमद्वाश्पतिराञ्चदेव इति यः पुभिः सदा कौंते ॥ १३ ॥ अर्थात्-हर्षका पुत्र बड़ा तेज हुआ, जो बिहान और कवि होने से वाक्पतिराज नामसे प्रसिद्ध हुआ। परन्तु नागपुरकै लेखमें इसी राजाका नाम मुन्न लिखा हुआ है । | निम्नलिखित श्लोक दोवैएः समारघर्थिनीवहुपिंधमारपसुद्धाभ्यरप्रवकृमिनाङपागजनि मुजराशो नृपः। प्रायः प्रतिदाधिपाययया यस्य प्रतापानली लोगोषमागनयध्यानान्महीम लम् ॥ ३३॥ इसके सापर याद में इसके उत्पलराज, अमेपर्य, पृथ्वीवल्लभ आई और माँ उपनाम मिलते हैं। उदयपुरकै पूर्वोक्त खसे पाया जाता है कि मैंने फणर्ट, लाई, रहें, और चौल देशको अपने अधीन किया; गुज) जीत कर उसके सेनापतियों को मारी और निंपुर पर तयार उठाई। ये बातें अफ लेखके चौदवे और पन्द्वें श्लोकोंसे प्रकट होती हैं । देखिएः फटलाउकेरुचारुशिरेरिएरागिपकमलः ।। ६५ प्रशिगणार्थितवाती कल्पबुमयः ॥ १४ ॥ अर्थात—जिसने कर्णाट, लाट, केरल और चोल देशको जीता और | ॐ कल्पवृक्षके समान दासा हुआ । सुपॐ विञ्जिमा हुत्वा जनवर्तन् ।। | स्नानू क्वचीती येन लिए मिया ॥ १६ ॥ (१) Ep, fa, Vol It, P. 184, । (२) मारके पाठको देश । (३] नर्मदा पबिपने मात्रै पाच ३।(४) मलदार---पश्मिीय घाटकै फम्माकुमारी का देहा।