पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१४०

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भालचेके परमार। उसे उसने अपनी रानीको सौंप दिया और उसका नाम मु रक्सी। इसके बाद उसके सिन्धुल (सिँधुरान ) नामक पुत्र हुआ। | राजाने मुझको योग्य देख कर उसे अपने राज्यका मालिक बना दिया और उसके जन्म का सारा हाल सुना कर उससे कहा कि तेरी भासे प्रसन्न होकर ही मैंने तुझको राज्य विधा है । इसलिए अपने ग्रेट भाई सिन्धुलके साथ प्रतिका वर्ताव रखना । परन्तु सुने राज्यासन पर उठ कर अपनी आज्ञाके विरुद्ध चलने झारण सिन्घुलको राज्यसे निकाल दिया । तब सिन्धुल गुजरात कासदस्थानमें जा रहा । जब कुछ समय बाद वह मालवैके लौटा तव मुमने उसकी आंखें निवा झर उसे काढ़ पीजडेमें कैद कर दिया। उन्हीं दिनों सिन्धुलके मोज़ नामक पुन पैदा हुआ । उसकी जन्मपत्रिका देख र उपतधने कहा | कि यह '५५ वर्ष, ५७ मत्तीने, ३ दिन राज्य करेगा । यह सुन कर मुझने सोचा कि यह झीता रहेमा तो मैरा पुत्र राज्य न र सौगा । आप उसने मोजको मार हानेकी सा दे दी । जब वधिक उसको चधस्थान पर ले गयै तब उसने कहा कि यह श्लोक मुअको ३ देनाः मान्याता स महीपति* कृतयुगाङ्करभूतो गरासेतुन मोदी विरचित कसि। शान्तिक । अन्ये चापि शुधिष्टिरप्रभृतयों थीता दिवं भूपते । नैकेनापि समझ सा चमती, मन्ये त्यया दास्यति । थति–हे राजा रत्ययुगी यह श्रेष्ठ मान्धाता भी चल्ला गया। समुद्र पर पुल पर्नेवाले चेतायुग वे रावप्न्ता भी कहाँ कहाँ गये, और द्वापर युधिष्ठिर आदि और मी अनेक नृपति स्वामी गयै । परन्तु पृथ्वी किसके साथ नहीं गई। तयापि, मुझे ऐसा मालूम होता है कि अब कलिंचुममें वह आपके पाय जरूर चली जाय।