पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१४१

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भारतके प्राचीन राजवंडा इस श्लोक पढ़ते ही मुझे यहुत पश्चात्ताप हुआ और भोनको पीछे बुला कर उसने उसे अपना युवराज बनाया। कुछ समय थाइ नै देशके राजा तेलाने' मुझे राज्य पर चढ़ाई $ । मुन्नने उसका सामना झ्यिा । इसके प्रधान मन्त्री रुद्रादित्यने, जो उस समय वीमार या, राजाको गौदी पार के आगे न बढ़नेकी कसम दिलाई । परन्तु मुन्नने पहले १६ दफे तड़प पर विजय प्राप्त किया था, इन कारण घट्ट आकार मुन्न गोदावरी से आगे बढ़ गया । वहाँ पर तैलमने छल से विजय प्राप्त करके मुझको कैद कर लिया और अपनी बांईन मृणल्बको उसकी सेवा नियत कर दिया। | कुछ दिनों चड़ मुन्न और ऋणल्ती आपमें प्रेम बन्धन गये । मुनके मायने वहाँ पहुँच कर उसके रहने के स्थान त सुर का मा बना दिया 1 के बन जाने पार, एक दिन मुले मृण्मचप्ती से कहा कि में इस सरड्के मासे निकलना चाहता हूँ। पांई तू मी मेरे साथ चले तो तुझमें अपनी पन्नी बना कर मुझ पर किं गये तेरे इष्ठ उपकारका पदा ६ । परन्तु मृणावतीने सोचा कि झी ऐसा न हो कि मै मैग्नमत्रिस्याके कारण यह अपनै नगरमें ले जाकर मेरा निरादर हैरभै रगे । अतएव उसने मुझसे कहा कि मैं अपने आफू पगका हि दा ले आऊँ, तबतक आप इहए । ऐसा हर इह सीधी अपने भाई के पास पहुँची और ने मव वृत्तन्त छह गुनाया। यह मुनर होरपने मुझो रस्सर बँाझर इसमें शहरम पर घर में मैंगवाई । फिर उघ। यधस्मान भेजा और कहा कि अच अपने इष्टदेवकी यात्र हो। यह सुनकर ने इतना ही उत्तर दिया किं २थास्त गत्रिदेवै वरन । गने 59 अश में निरIरा व ॥ (1) इस न ३ ३ ३ गइन ।