पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१५४

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मालचेके परमार | भोजके चालक ने कारण ही वह राज्यासन पर बैठा था । यह सिद्ध हो चुका है ।। इसके समर्म आणहिलवाइके चालुक्य चामुण्डराजन अपने पुन राज्य देकर तीर्थयात्राका इरादा किया था और मृाल में पहुँचने पर राज्यचिद् छनने की पटना हुई थी। उसके बाद बल्लभजने अपने पिताके आज्ञानुसार सिन्दुराज पर चढ़ाई की थी । परन्तु मार्गमें चेचककी बीमारी! वह मर गया । इस चडाईका जि पडनगरकी प्रशस्ति हैं। प्रपन्बकास भी इस मापस लडाई(९९७-१८१० ईसी) फा पता लगता है, जो सिन्धुराज हया चालुक्य चामुण्डराज और । बच्चभराज साथ हुई थी 1 । | इसके जीते हुए देशों में से कौशल और दक्षिण कोशल (मध्यप्रान्त और बुराइका कृ4 भाग ) होना चाहिए, क्योंकि वे माघेकै निकट थे। इरी तरह वागडदेश राजपूतानेका वागड होना चाहिए, न कि कच्छका। यह वागड़ अधिकतर इंगपुर के अन्तर्गत है, उसय कुछ भाग घॉसवाडेमें भी हैं । | पद्मपि मुरल अयति दक्षिणका केरल देश माङसे बहुत दूर हैं तथापि सम्भव है कि सिन्धुजने मुक्षका बदला लेने के लिए चाक्यज्य पर चाई की हो और देर तक अपना दखल कर लिया हों । इसके बाद भेजने भी तो उस पर चढ़ाई की थीं। यह राजा शैव मालूम होता है। इसके मन्त्री रमाद्वका दूसरा नाम यशोभट्ट या । १–भोज । इस में मोज सबसे प्रतापी राजा हुआ । भारतके प्राचीन इतिसमें सेवा विक्रमादित्यके इतनी प्रसिद्व वि राजानै न प्राप्त की। { { } Ep Ind 1, -