पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१५९

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मारतके प्राचीन राजवा गाढ़े यदेवी ही उत्तराधिकारी और पुत्र कर्णदेव था, जो इस वशमें मद्धा प्रतापी राजा हुआ। इसने १०५५ ६० ॐ लगभग भीपर्चे मिलकर भीजपर चढ़ाई की । इसका हाल कार्तिकीमुदी, सुतसङ्कीर्तन और कई एक प्रशस्तियॉर्म मिलता है । परन्तु यायचाय कर्ता हेमचन्द्रने भीम पराजय आदिका मान नहीं लिखा । गुरुकके साथ मज लडाइँसे मतलव मुसलमानांके विरुद्ध लढा | कप्तान सी ई लुञई, एम० ए० र पण्डित मशिनार्थ कुम्भ लेने अपनी पुस्तकम तुरुकों की लड़ाई महमूद गजनके विरुद्ध लाहोरके इशा जयपालक मदत करने का तात्पर्य निकाला है। परन्तु हुम इससे सहमत नहीं । क्यों किं प्रम तो कीलहानके मतानुसार उत्तसमय भोजका होना ही मानिंत नहीं होता। दूसरे फरिवाने खिा है कि फेवळ विहीं, अजमेर, कालिंजर और कमानकै रामाहीने जयपालको मदद्द दी यी । आगे चलकर इसी अन्यकारने यह भी लिखा है कि महमूद गजनसे अपपीके लवके आनन्दपारूकी लड़ाई ३६९, हिजरी १ वि० सं० १०६४, ६० स० १९०९ ) में हुई थी । उसमें उनके रागाने नन्दपाली मदद की थी 1 सो यदि भोपका जित्चाङ १६०० ६० से माने, जैसा कि आगे चढ़कर हम (in, शो इनइस राजा भोजका मतलब निकल सकता है। तवा गकनमें लिखा है कि पाई महमूद ४१७ हेनरी १३० स० १२४ ) में सोमनायसे वापिस आता था तब उसने सुना कि परमत नामका राजा इससे छइनेको उद्यत है । परन्तु महमूने उससे देना उचित न समझा । अतएव देह सिन्ध$ मार्गस मुशानकी तरफ प्पड़ा ममा । इसपर मी पूर्वोक फलान और लेले महाशयन सा है। ( Tb1'A FIDATO of Dhar and Malta. १६