पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१६३

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भारतके प्राचीन राजवंश काव्य । पम्पूरामायण या भोजचम्पू कुछ भाग, महाकालाविनय, युक्तिकल्पतरु, विद्याविनोद और शृङ्गारम (मझ }। माफ़तकाच्य । दो माकृत-काव्य, जो अभी फुछ ही समय हुआ घारामें मिले हैं। पीरा । प्राकृतथ्याङ्करपा । वैघ । विश्रान्तवेद्याविनोद और आयुर्वेद सर्वस्व । शैवमत 1 तत्वमका और शितदलङ्गलिंका। संस्कृतप । नाममा । शालिहोत्र, शानुशासन, सिद्धान्तसंग्रह और सुभापितमबन्ध । औफ रेक्टस ( Aufiefits ) की वङी सूची (Catalogsus Catcolo gurum) में भौजके बनाये हुए २३ ग्रन्थों के नाम हैं। | इन पुस्तकॉमंस किंतनी मौनकी बनाई हुई हैं, यह तो ठीक $ नहीं मालूम, परन्तु धर्मशास्त्र, ज्योतिष, वैपक, कप, रुपाकरण आदिके कई लंङ्गकॉने भोनके नामसे प्रसिद्ध अन्योंसे लोक उधत किये हैं। इससे प्रकट होता है कि भोजने जवश्य ही इन विषयों पर अन्य लिऐ थे । फरेसने लिया है कि बौद्ध लेखक दशचने अपने मनाये प्रायश्चित्तविकृमें और विज्ञानेश्वरने मिताक्षरामें भीजी घर्मशासका हेरा$ फहा है। मानप्राश र माधवकृत मवेनिश्चपर्ने भौज अयुवैदसम्बन्धी अन्यका रचयिता माना गया है । केशवाईने भोजको ज्योतिपय लेखक बताया है। कृष्णस्वामी, सायन और मद्दीपने भोजको एक म्याकगमन्यका कर्ता और झोपकार । है । तर, वगैर, विनायक, शङ्करमरपती र कुटुम्बईतूने इसे एक श्रेष्ठ कवि स्वीकार किया है। विद्वानोंमें यह भी प्रसिद्ध है कि इनुमनदिई प३ शिला पर ख़ा हुआ था और समुदमें फेंक दिया गया था । उसको मन्नने ही | समुद्रको निकलवाया था। १२४