पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१७२

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मायेके परमार । प्रघन्कार ने लिखा है के भोज अनेक स्त्रिया र पुत्र थे ! पर कोई चात निश्चयात्मक नहीं लिली । भोजका उत्तराधिकारी जयसिंह शायद मौजहीका पुत्र हो । पर भाजके सम्वन्ध वधम झ्वल उद्धदत्य ही कहा जाता है । सप्यादित्या वर्णन भी किया जायेगा । निटर विन्सेन्ट मिथ अपने भारतपय इतिहमें लगते हैं कि मोजने १० बर्षसे अधिक राज्य किया। मुन्न तरहे इसने भी अनेक यु और सन्धियों कीं । गपे इस युद्धादिको बातें लेग शूल गमें हैं, तयापि इसमें सन्देह नहीं कि भोज हिन्दुओंमें आदर्श जर समझा जाता है। वह कुछ कुछ समृद्ध समान ग र प्रती श्वः ।। | १०-जयसिंह ( प्रथम )। | भौजके पीछे उसका उत्तराधिकरी अयःह गद्दीपर बैठा । अपि उदयपुर (ग्वालियर), नागपुर विकी प्रशस्तियोंमें भगकै उत्तरचकरका नाम उद्यादित्य लिखा है, तथापि वि० सं० ११.१९ ( ई० स० १९५५) आपाद दि ११ का जो दानपत्रे मि है उससे स्पष्टतापुर्वक प्रकट होती हैं कि मोजका उत्तराधिकारी जयसिंह ही था। यह दान-पत्र लयं जयसिंहफा राया हुआ हैं और पारामें. ही दिया गया था । ' | भाज* मरनेपर, उसके ज्यघर उसके ऑन आम किया। इसफा वधन तुम इत्र ही कर के हैं। इस आक्रमणका फड़े हुन्न। ३ धारा नगरी चैदी के राजा के हाथमें चली गई थी। उस समय शायद् घारापति भगए विन्ध्याचलकी सरफ चला गया हो, और बादमें की और एम द्वारा धाग्री ईपर बिंझा (Rur गया है । यडू धरान फ से प्रकट होती है। यह भी सुम्मा है । इसके कुछ the Early story uł Ludin, 311. (2) Es Tad, YULITI, p. 80