पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१७३

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भारतके प्राचीन राजबंदी-'. समय बाइ, अपनी ही निर्बलताकै कारण, दह अपने कम् उदमादित्य द्वारा गासे उदार दिया गया है । इससे शायद उसका नाम पूक लेसमें नहीं पाया जाता है। जयसिंहने अपनी बहनका विवाह कर्णाटके राजा चालुक्य जयसिंहके साथ किया। इनमें उसने अपने राज्यका वह भाग, ओं नर्मदा दक्षिणमें था, जयसिंहको दे था। उसने अपना विवाह चैदई राजाझी कन्या किया । जयसिंहने धारामें एक महत्व यनत्रामा था, जो लास कहलाता था। उसमें साधु-सा ठरा करते थे। यह यात कथासे जानी जाती है । | जपने बहुत ही गड़े समय तक राज्य किया; चोक उदयाइरस य वि० सं० ११ १६ ( ई० सं० १०५६ ) का एक हे मैिला है, जिससे उस समय उदयादित्य राजा होना सिद्ध होता है । पूर्वेक्त लैंपसे यह मालूम होता है कि जयसिंहा देहान्त वि० सं० १११२१६ सय १०५५ ) और वि० सं० १११६ (६० स० १०५९) ॐ वच किंय समय हुआ । ११-उद्यारिय। यह राजा भोजका कुटुम्य सा । नामपुरकी प्रशासके वचन चवें टोंक में हिंसा है कि भोज’ स्यीं जाने पर उसके राज्य पर जो दियात आई भी उसको उसके कुटुम्वी उइयाने पूर कि पी और स्वयं राजा बम फर कटवालों से मिले हुए राजा कसे भोज राज्यको फिर छीन लिया । बिल्हण का विकमाईदेवचरिशके अन्तर्गत मोके वृत्तान्त लिया है कि झटक रानाः चौटुङ्ग्य सोमेश्वर ( आमई) ने भौने र चढ़ाई की थी। यह चढ़ाई भौनके शासनकालके अन्तर्ने हुई हो । (१) £7. Ind, Yel.31, P. 182, १३०