पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१७७

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भारतके प्राचीन राजवंश पुत्र उत्पन्न हुए । अचेल पर उदयादित्यकी विशेष प्रति यी। उसका पुत्र रणधवल ज्येष्ठ मी या । इससे वहीं राज्यका उत्तराधिकारी ।। सापत्न्यकी ईके फारश सोलानी और उसके पुत्र जगदेव नर्वेली यद्यपि सदा दुःख देने के उद्येगमें रहती थी तथापि उदयात्म अपने छोटे पुत्र जगदेव कम प्यार में करता था । | उपादित्य माण्डवगढ़ ( मोदू) के राजाका सेवक था। इस कारण, एक समय, उसे कुछ काल तक मॉमें रहूना पड़ा । उन्हीं दिनों जगवेपका विवाह डॉक-टोहाके चावड़ा राना राजकी पुत्री रमताके साथ हो गया । इस] यहेलीका द्वेष और भी बह गया । यह इशा देर कर जगदेव धाराको छोड़ कर अपनी स्व-साहित पाटण ( अहिल-पाटनअहवाड़ा के राजा सिंद्धाज्ञ जयसिंदूके पास चला गया । द्धि जिने उसकी वीरता र कुलीनताके कारण, बड़े आद्रकै साय उराको, ६५००० रुपया मासिक पर, अपने पास रख लिया । जेब मी तन मनसे उसकी सेवा करने लगः । मह जमदेव के दो पुत्र हुए-जगघबढ़ कार बनधवल । इन पर मी सिद्वाज पूर्ण कृय थी । | एक बार माद्रपद मासी पनघोर अंधेरी रात एक तरफसे ४ स्त्रियों नेढ़ी और दूसरी तरफसे ४ स्त्रियोंके हँसने आवाज सिद्धराजके कानमें पह। इस पर सिंद्धराज जगदेव पाई अपने सामन्तक, ये उस समय वहाँ उपस्थित थे, आज्ञा दी कि इस रोने और हँसनेका वृत्तान्त पात काय मुझसे कहना। यह सुनकर वे लोग यहाँ वाने हो गये । उनके चले जाने पर सिद्धाजने सोचा कि वेखना चाहिं ये लोग इस मयनिक हमें इन घटनाका पन्ना गाने गात्स करते हैं पी नहीं । यह सोच कर वह भी गुप्त रजिसे घटनास्थलकी तरफ रवाना हुआ। इघर रोने और सबाली स्त्रियों का पता लगानेकी आज्ञा राजाने