पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१७८

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मालयेके परमार। पाकर रवद्ध हायमें ले जगदेव पहले रोनेवाली स्त्रियके पार पहुंचा। यहीं उसने उनसे पूछा कि तुम कौन हो और पय अंध रातमें यहाँ वैठ कई वों व हो ! यह न कर उन्होंने उत्तर दिया कि हम इस पाटण नगरकी देविम है । कल इस नगरके राजा सिद्वराजको मृत्यु होनेवाली है। इससे हम रो रही हैं। उधर में छिपा हुआ सिद्धराज स्वयं यह सब सुन र या । यह सुन कर जगदव हैंसनेवाली स्त्रियाँके पास पहुंचा 1 उनसे भी उसने वहीं सवाल किये 1 बन्ने उत्तर दिया है हम दिल्लीकी इष्टदेवियां और सिद्धराजको मारनेके लिए यह आई हैं। कुछ सवा पहर दिन चढे सिन्छराजफा देहान्त हो जायगा । यह सुनकर जगदेवने कहा कि इस समय राज सा प्रताप दूसरा कोई नहीं। इस कारपा था। उसके नाचनेका कोई उपाय हो तो कृपा करके आप क । इस पर उन्होंने उत्तर वया कि इसका एक मात्र उपाय यही है कि यदि उसका कोई बढ़ा सामन्त अपना सिर अपने हाथ काटकर हमें दें तो राजाकी मृत्यु टल सकती है। नत्र जगदेवने निवेदन किया कि यदि मेरा सिर इस काम लिए उपयुक्त समझा जाय तो मैं देने तैयार हैं। देवियाने राजाके बदले उसका गिर लेना मझूर किया। तन जगदेवने कहा कि मुझे थी। वेरके ए आज्ञा हो तो अपने घर जाकर यह वृत्तान में अपनी स्त्रीसे कहकर उसकी आज्ञा ले आऊँ । इस पर उन्होंने इंसफर उत्तर दिया कि कौन ऐसी होमft जो अपने पतिको मरने अनुमति दे । परन्तु यदि तेरी यही इच्ा हो तो जा, जल्दी लौटना। यह न जगवेय रहीं तरफ रवाना हुआ । सिद्धराज मी, जो छिमें छिपे ये सारी बाते सुन रहा था, जगदेव छी पति-भचि नॉय फरनेकी इच्छासे उसके पीछे पीछे चला । जगदेवने पर पहुँच कर सारा वृतान्त अपनी स्वीस । उसे सुनफर इह योली कि नाके लिए प्राण देना अनुचित म। ऐसे ही समय १३५