पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१७९

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भारतकें प्राचीन राजबंशपर काम आने के लिए राजाने आपले रक्खा है । और क्षत्रियको धर्म भी यहीं है । परन्तु इतना अपको स्वीकार करना होगा के बाप के साथ ही में भी अपने प्राण हैं । यह सुनकर जगदेवने कहा #ि यदि हम दोन न जाये तो इन चालको) क्या दशा होगी । इसपर उसकी ॐ चावड़ने कहा कि यदि ऐसा है तो इनक्का भी थन्दिान कर छ । इस गतिको जमवेदने भी अङ्गीकार कर लिया, और सपने दोनों पुत्रों और स्त्रीकै साथ व उन देवियझे सामने उपाँथप्त हो गया ! सिद्ध अन मी पूर्ववत् उपचाप वहाँ पहुँचा और पिफर रहा हो गया। | जगपने पिग से पूछा कि मेरे सिरके बदले सिद्धराजकी उम्र कितनी य! जायगई है उन्होंने इत्तर दिया, १६ वर्षे । यह सुनकर जगदेवने कहा कि स्त्री-सात मैं अपने दोनों पुजके भी सिर आपको अर्पण करता हैं। इसके बदले सिद्धराज उम्र १८ वर्ष वदनीं चाहिए । ६नि यौने प्रसन्न होकर यह बात मान ली । तया चावडीने अपने बड़े पुनेको देवियाँ सामने पढ़ा किया । जगदेवने अपनी तलवारसे उसका सिर काट दिया। फिर दूसरे पुत्र पर उसने तलवार उठाई। इतनेमें देयान जाादेव। हाथ पकड़ लिया और कहा की हमने तैरी स्वामि-मासे प्रसन्न होकर राजाकी उम्र १८ वर्ष वृदः दी । इसके बाद वियोंने इसुकै मुझ पुत्र भी जीवित कर दिया । जय मादेन वैयाँको पाम फरके पुत्राः सहित घरो ले आया । सिद्धरान भी मन ही मन नगरेको दृढतो और स्वामि-भा अशा करता हुआ अपने महल गया । | प्रात काल, जय जगदेय दरबारमें या तर, सिद्धराज गद्दीसे इतर कर उससे मिला। फिर इन सामन्तॉसे, निनो उसने रोने और गानेलियोंकी छाल मालूम ने कहा था, पूछा कि कहो क्या पता गया । उनि उत्तर दिम $ किसका पुत्र मर गया था, इसने वे में रही थी। इसके यहाँ पुन उत्पन्न हुमा यी इस घड़ी नियों में १६६