पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१९

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पालश। परमारोंके बाद पालवंशियोका इतिहास है। इन्होंने अपने दानपमि सारे हिन्दुस्तानको पतद परने या इसपर हुक्मत परनरा दाया किया है। पर असल में ये कंगाल और बिहार राजा थे। शायद कभी पुछ भागे मी बट गये हो । इनमें पहले राजा गोपालके वर्णनमें आईन-अपचरी और परिश्ताका भी नाम आया है, कि ये गोपालको भपाल चताते हैं । फरिस्ताने भूपालका ५५ वर्ष राज्य वरना लिसा है। यही यात उससे पहलेगी बनी बाईने-अपवरीमें भी दर्श है। पर गोपाल (भुपाल ) धर्मपाल और देषपाठ के पीछेचे नाम आईने-अक्वरीसे नहीं मिलते हैं। उसमें भुषालो जगपाल राक १० राजाओंका १९८ बरस राज्य करना और जगपालवे, पीछे मुखसेनका राजा होना लिया है। आईने अमरीमें १० राजाओं नाम इस प्रकार है-- १ भूपाल ६ शिवपाल अमेपाल " जैपाल ३ देवपाल ८ राजपाल ४ मापनपाल ९ भोपाल ५ पनपतपाल १. जगपाल सेनवंश। पाख्वाके बाद सेनाका इतिहाम लिखा गया है । शेख अबुल फटने भी आईन अरवरी में पारव राजाओके पीछ सेनवंगी राजाओकी बंशावली दी है। परन्तु उनको कायस्थ लिखा है। उसने पारवाशियों और उनके पहले दो दूसरे राजघरानों को भी, जो महाभारतमें काम मानेवाले राजा भगदतनी सन्तानके पीछे चगालम सिंहासन पर बैटते रहे ये अपनी नम समयकी तहकीकारासे कायस्प.ही हिता है। अब जो दामपनो था शिलालसोमें पालोपो सूरजशी और सेनाको चन्दवशी लिगा मिलता है शायद वह ठीक हो। परन्तु सेयरों में जिरा तरह और मही तर दिएर पानेको किसी लेखन मूवंशी, किमीमें चन्द्रवंशी और