पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१९६

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मालपॅके परमार। वह निर्गल राजा था । इस कारण इघर तो उस पर जितियालों का दूचाव पट्टा र र उसके भाईने गवत की । इससे वह अपनी रक्षा में कर सका। ऐ हुरितमें उसके गद्दीसे उतार कर उसके स्थान पर उसके भाई अजयवर्माने अधिकार र लिमा । अजयवर्मासे परमाकी • च ' शाखाका प्रार-म हुआ, तथा इस उतार हायमें उसके दूसरे भाई छद्भवमने जयधर्मा से मिल कर ऋछ परगने दुबा लिये । उससे 4. क ' शाला चढ़ी। अपने नामपनों में इस ' क ' शाखाके राजाओंने जमथमको अपना पूधिकारी लिखा है । इस प्रकार भालके परमारजाकी दो शाखायें चलीं - - १४–यशोवर्मा !... _ __ ( प ) १५---जयम १ १५ –अजयम १६-लक्ष्मीचम { १६ }--विग्यवम ( १७}--सुभटकर्मा १८–उदयवमी ( १८)-अर्जुनवर्मी १९-देवपालदेव ( हरिश्चन्द्रदेवका पुट्स ) * ' शाकाई का कम इस प्रकार हैं: पूर्वोक्त वि० सं० १ १९११ ईंसः ११३४) ॐ यशोवर्माके दानपत्रेके बाद जयवर्माके दान-पत्रका प्रथम पत्र मिला है। यद्यपि इसमें संवत् न होने से इसका ठीक समय निश्चित नहीं हो सकाता, सथाचे •} Tad Ant., Pal XIY,53 (३) E Ima, vol. I n