पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२०१

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मारतके प्राचीन राजवंशमारो रानी सोने भीमय पर चढ़ाई की। परन्तु जिस मय दह गुजरातकी सदके पास पहुँचा जरा समय भीमदेव ॐ मन्नै उसे यह टोका लिंख भेना -- प्रताप राष्ट्र पूर्वमेव राजथे । स एस बिलब यात पश्चिमाशावलम्बन ॥ १ ॥ अर्थात् है नृपसूर्य । सूर्य प्रताप पूर्व दिशाहीमें शोभायमान होता है । जब वह पश्चिम विशामें जाता है तच नष्ट हो जाता है । इस प्रस्ट्रोकको सुन कर साह लौट गया। | पनौमुर्दमें लिङ्गा है कि भीमदेवके श्य-सनाने भालके राजा ( सुमद्रवर्माने } ने गुजरात पर चढ़ाई की । परन्तु बघेल लवप्रसादने उसे पीछे लौट जाने के लिये माघ्र्य किया। इन लैससे भी अनब्राके ताम्रपत्रमें कही गई बातहीकी पुष्टि होती है। सम्भयत इस चढाईमें देवरको यादव राजा सिंघण मी सुभबमके साथ था । शायद उसे समय भदव, पण सात हैसियत, रहा होगा। क्योकिं बम्ई गैजेटियर अदिसे सेघणका सुमएवमको अपने अधीन ३ ॐना पाया जाता हैं। इन उल्लिखित प्रमा से यह अनुपान भी होता है कि गुजरात पर की गई यह चढाई ६० स. १२०५–१८ के बीच हुई होगी । इसके पुत्र नाम अर्जुनधर्मदेव था । १८-अर्जुनयर्मदेय । | यह अपने पिता सुभट्समका उत्तराधिकारी हु ! ह विद्वान्, इबि और गाने बियामें निपुण थी ! इसके तीन तापन मिले हैं, उनमें (1) कौमुदी, १-७४। । (३) Bombay Puspita, Y 5, F६ II, I0.