पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२०६

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मालके फ्रसार । उसके पिताका नाम चासिल लिया है तथा इसके फतह किये जानेकी तारीख हिं० स० ६३० ( वि० सं० १२८९, पोप) सफर महीना, तारीख ३६, मङ्गलबार, जिस हैं। इन बातों से प्रकट होता है कि यद्यपि कृच्चबाहीकै पछे मालियर मुसलमानों के हायमें चला गया था, तयापि देवपालदेबके समय उस पर परमारोहीका अधिकार थी। इसमें अल्तमशको उसे घेर कर पड़ा रहना पड़ा। शमसुद्दीन पेंट जन पर देवपाल ही मालवेका राजा बना रहा । ऐसी प्रसिद्ध है कि इन्दोरसे सीस भील उत्तर, देवपालपुर में देवपालने एक बहुत बड़ा तालाब बनवाया था। इसका उत्तराधिकारी इसका पुत्र जयसिंह जैतुगी ) देय हुवा । २०-जयसिंहदेव (दूसरा )। यह अपने वता देवपादेवका उत्तराधेिरै हुआ । इसको नेतुअब भी कहते थे । जयन्तसिंह, जयसिंह, जैवसिंह और नेगी ये सब जयसिंह ही रूपान्तर हैं। यद्यपि इस राना विशेष वृत्तान्त नहीं मिलता तयापि इसमें सन्देह नहीं कि मुसलमानों इनाबफे कारण वसको राज्य निर्वल रहा होगा । वि० सं० १३१२ (३० स० १२५५) का इसका एक शिलालेख राहतगडमें मिला है। इसके समयमें, वि०सं० १६०० में आशायरने धर्मामृती टीका समाप्त की। २१–जयम (दूसरा)। यह जयसिंहका छोटा भाई या । वि० सं० १३१३ के लगभग यह राज्यासनपर बैठा 1 वि० सं० १३१४ (१० म० १२५७) वा एक छेस-ग्इ में गाँवमें मिला है। यह गई इन्दौर-राज्यके मानपुरी जिटेमें है। इसमें ठिखा है कि मापदवी प्रदाद दिन जयवर्मा इमा (2) Ind. Ant. vol. IX, T. 66. (*) Futes of Dhar and 3kali, , 0.