पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२१०

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मालचेके परभार। | बचैकै एक लेसमें लिखा है कि अनहिलवाद्धार्के सारङ्गदेवने यात्रराजा और 'मालके राजाको एक साथ हराया । उस समय याईवराजी रामचन्द्र यो । ।। २४ जयसिंहदेंच (चतुर्थ) । यह भोज वितीयका उत्तराधिकारी हुआ । वि० सं० १३६५ ( ई० | स० १३०९), आवण वदी बादशीका एक लैंस जयसिंह देवका मिला | है' । सम्मवतः वह इझा राजाका होगा । इस लेख विषयमें डाक्टर झीलहानका अनुमान है कि वह देदपलिदैव पुत्र नरसिंहका नहीं, किन्तु बहके इस नामके किसी दूसरे राजाका होगा। क्योंकि इस लको वैवपालकै पुत्रका मानने में जयसिंह राज्य-काल ६६ वर्षसे भी अधिक मानना पगा । परन्तु अब उसके पूर्वज जयतमके लेके मिल जानेसे यह लेख जयसिह चतुर्थेकी मान हैं तो इस तरहृका एतराज करने के लिए जगह न रहेगी । यह ले। उदयपुर १ ग्यालेयर) में मिला है। | मालवेके परमार-राजाओंमें यह अन्तिम राजा था । इसके समयसे मालवेयर मुसलमान की इस हो गया तथा उनकी अधीनतामें बहुत छोटे अन्य राज्य बन गये ! उनमेसे कोक नामक भी एक राजा माहवेक पर 1 शारीख-ए-कारितामें लिखा है--रिजरी स; ७०५ १६० रा १३०५) में चालीस हजार रायर र एक लास पैर न लेकर कोकने ऐनुलमुल्झका सामना किया । शायद यह राजा परमार है। हो । उजन, माण्डू, घार अर चन्देरीपर ऐनुलमुल्कने अधिकार कर लिया या । उस समयसै माळवेपर मुसलमान की प्रभुता उद ही गई। *(१) Ep. Ind, Ip.71. (३ } Lad. Ant, Fal, Y, . १६७