पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२१५

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भारतके प्राचीन राजवंश नामक मन्दिर बनवायी । यह मन्दिर पर्वतमें ही खोदकर बनाया गया है । इन बंशमें आठवें राजा वेंन्द ( दिप ) दुगा । उसके ‘समयमें इनकी राज्य माल्वे सीमा तक पहुँच गया था। लाट देश ( मच ) को जीत कर व राज्य में वन्दनें अपने भाई इन्द्रकी दे दिया । इन्दसे इस वंशकी एक नई शाखा चली ।। | इसी राष्ट्रकूट-वंशकै ग्यारहवें राजा अमोघवर्षनै मान्यवेट बसाया पा । इस वैकें अठारहवें राजा सोगिक मालवेॐ राजा सयङ (६) ने और उसमें कदेवको यौलुक्य शैलप ( दुसरे) ने हरायो । । । इभी तैलपसे कल्याण पश्चिम बौक्योंकी शाखा धक्ती । इस शासाका राज्य ई० स० ११८३ तर्क रहा । मुझको भी इसी तैपने मारा था । इस शाखाके छठे राजा सोमेश्वर ( दूसरे ) के सामने से भजको भागना पड़ा था। इस बाके सातवें राजा विक्रम दिल्पने माल पराको सहायता दी थी। पिछले पाद राजा । बारहवीं सदमें, दकिंगमें, देवगिरि ( द बाई ) के अद्विका प्रताप प्रभले हुआ। इस शख़ाने प्राय: स ११८५७ से १३१८ तर्क राज्य किया । जिस समय सुभट्ट बर्माने गुजरात पर चढ़ाई की उसे समय पिन भी उनके साथ था। इस वा अन्तिम प्रतापी राजा रामचन्द्र, -भोज ( द्वितीय ) का मित्र था । | चेदि राजा । हेहय-वैशियका दज्य निंपुगंमें या। उसे अझ तेवर झहते हैं । यह नगर जबलपुरके पास हैं ! नवीं सदमें कट्स (प्रथम) से यह बा चला । इनके और परमारोंके चीप चहुबा लाई वही करी थी 3 मार्क के राजा मुन्नने दस बैंश दसवें राजा युयराजको और भौन (प्रथम)