पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२१८

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घाग इक परमार। "ऐसा लिखा मिलता है कि इसने सिन्धुराजको परास्त द्दिया था । यह सिन्घुराज काका राजा था, यह पूरी तौर से ज्ञात नहीं। या तो इससे सिन्धुदेशके राजा तात्पर्य होगा या इसी नामवाले किसी दूसरे राजासे। यह भी लिखा है कि इसमें कन्हूके सेनापतिको मारा। यह इन्ह(कृष्ण) काका राजा था, यह भी निश्चयपूर्वक ज्ञात नहीं । अपने पिता के नाम चामुण्डराजने अयूंणामें मण्द्धनेश्वर मन्दिर बनवाया था। उसके साथ एक मठ में था। इसके समयके दो ट्रेन अणामें मिले हैं। पहला दि० सं० ११३६ ( ई० स० १०७६ ) का और दूसरा विः सः ११५७ (६६ सः ११७० ) का है। वि० सं० ११३६ के लेख' डम्बरसिंहको यरिसिंहका छोटा भाई लिखा है तथा टम्वरसिद्से चण्डप तक की घशायली दी गई है। ७–विजयराज । यह चामुण्डजका पुन था । उसके पीछे यह गद्दीपर बा | मझे सान्धिविग्रहिक ( Alamister of Peace and War ) का नाम वामन या । यह घामन बाठम-वशी कायस्थ था। इसके पिताका नाम राज्ययार था । वि. स. ११६६ (ई: स ११०६ , चमपटराज रमयफा, एक लेय अगामें मिला है। इन परमारोंकी राजधानी अर्यमा ( उच्छ्श क ) नगर पी । यद्यपि | पर्माके समयमें यह नगर चहुत उन्नति पर था, तथापि इस समय वहाँ पर पड़ एक गाँव मात्र पाई है। पर के पास ही संक’ मनाईशप मन्दिर और घर आदि सहर सड़े हैं। अर्थमा यसकै प्रदेशका मार्दन शोघ न होनेते विजयराज पदको इतिहास नहीं मिला। (t) Iad Aat, 107 XII T 8. १५