पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२२२

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परमार वंशकी उत्पत्ति। परमार-वंशकी उत्पत्ति । इस बेशकी उत्पत्ति विषयमें अनेक मत हैं । राजा शिवप्रसाद अपने इतिहास तिमिर-नाराक नामक पुस्तके प्रथम भागमें लिखते हैं कि * जब विघामपाका अत्याचार बहुत बढ़ गया तब ब्राह्मणाने अदगिरि ( आवू ) पर यज्ञ किंया, और मन्त्रालसे अग्निकुण्डमॅसे क्षत्रिय चार नये वंश उत्पन्न किये । परमार, सोलंकी, चहान और पड़िहार । उबुल फजलने अपनी आईने अङ्ग्रीमें हिसा है कि जब नातिका उपद्व बहुत बढ़ गया तत्र पहाड़पर ब्राह्मणोंने अपने अग्निकुण्ड परमार, सोलंकी, चाहान और पड़िहार नाम चार बंश उत्पन्न किये । | पद्मगुप्त ( परिमल ) ने अपने नवसाहकाडूचतके ग्यारहवें में इन उत्पत्ति घन इस प्रकार क्रिया है: अर्नुदानल-धनम् । ब्रह्माण्डमण्डपस्तम्भः मानल्यवृंद गिरिः । उपौंडईसिका दस्त उरतः सातभञ्जिकाः ॥ ११ ॥ यसिधाश्रमवनम् । भवानीवार्ड-ल-समिछम् । मुर्निस्तदनै परे, त र्हितः ।। ३४ ॥ हत उम्दा श्रेजुः सूनसुना । वार्तवमलेनैव जमदग्नेरनीयत ।। ६५ । पूलधुवा.सन्तानलपेठस्तन्छ। अमावस्त रस्टभदन्पत्ती ॥ ३६ ३१ ६७