पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२२६

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पीलचा । पाल-वंश । जाति, और धर्म । पालवश राजा सुर्यवंशी हैं । यह दान महाराजाधिराज वैयदेव झमटके दानपत्र में प्रकट होती है। उसमें लिखा है एतस्म दथिइ यी मिरिस्म जातवान्पूर्दै । विप्रपालो नृपति । अर्थात् बिके इने नेत्ररूप इस सूर्य-यंशमैं पहले पहल विषाल राजा हुआ । आगे चल कर उसमें लिखा है-- सुम्यौर्लपलपौययस्य नृपः श्रीरामपालोभनद पुन पासकुलाधिशांतकिरण 1 । इन राजाक नाम के अन्तमें पाल ; मिलता है। यपि, अङ्गाल, मध और कामरूप पर इनका प्रभुत्व था तथापि, कुछ दिना लिए, इनका राज्य पुर्वोक्त देश के शैिवा उटीमा मिचि और कलेज पश्चिम तक मी फैन गया था । | अनेक पश्चिमी मोघक विद्वान् इनको मुंहार माझ्या कहते है ! पर अब तक इसका कोई प्रमाण न मिल्ला । पै झोग बौद्ध धर्मावलम्बी हैं। इनके राज्य-समय पर मारतले यौदधर्मका लोप होना प्रारम्भ हो गया था हयापि इनके राज्यमें, और विशेष कर मधमें, उसकी चलता विद्यमान थी । उस समय भी विश्मशील और नालन्द नामक नागमें इस धर्मके पद संधाराम ( मट} } बहुत प्राचीन कालते हैं। चीन, ताज़ार, स्थाम, ब्रह्मदेश आबिके बीइ उन मठोंमें विद्यार्जनके लिंक आमा करने में है ग्यारहवीं शताब्दीमें मिल-मटको प्रसिद्ध विद्वान् 1 IE , Fal. , 551