पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२२८

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पास-बंश । इससे भी पृषक ताम्रपत्रमें कही हुई बात सिद्ध होती है। उम्मथ है, मगधके गुप्त-वंशिया राज्य नष्ट होनेपर मेक 2 छोटे राज्य हे गये हैं। और उनके आपस सघर्पसे प्रज्ञाको बहुत फष्ट होने लगा ही. इससे दुखित होकर गोपाल वहाँवालोंने अपना रजिा चना लिया है। और पालने उन छोटे छोटे दुष्ट राजाओं का दमन करके मजाक रक्षा की हो । | तारानायके लेसे पता लगता है कि-* गौपालने पहले पहल अपना राज्य कारमें स्थापित फिर, तद्नन्तर मगध ( बिहार ) पर अंबिकार किया । इसने ४५ यर्पत राज्य किया । | तयारीस्व-फरिकता और आईन-ए-अक्वमें इसका नाम भूपाल किंवा मिलता है। यह भी गोपालका ही पसं-चाची है । मयवि * गो' और 'H' दोनों ही पृथ्वीके नाम हैं । फरित लिंखला है $ इसने ५५ वर्षांतक राज्य किया। | इसका रानी का नाम देहदेवी था । वह भद्र-जातिकै मा भष्ट्रदेशके राजा कन्या थी । उसके दो पुत्र हुए-धर्मपाल और वाक्पाल। | गोपालद्मा एक लेखे नालन्दमें मिली हुई एक मूर्ति के नीचे सुदा हुआ है। उसमें बहू परमभट्टारक महाराजाधिराज, परमेर लिखा हुआ है। इससे जाना जाता है कि वह पतन्त्र राजा था । उस समय एक और से युद्ध गयामें मिली हुई एक मूर्ति पर स्युदर gा हैं। ४-धर्मपाल यह गोपालको पुप और उसका चर्धिका ! पावशियों में यह बइ प्रतापी हुआ । भागलपुर ताम्रपत्रे से प्रकट होता है कि इसने (१). B 4 Fl, Vol. A, B B3 (३) 4, 5,Yal Tara IIE F 120 (३) सा ए फगहान }न महापैघि । (५) Ind Ati, 1 ol K", । ३05, Rrad Pal XX,P 197 १३