पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२३

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(३) जरशस्त इतिरयातो बचायोरयातिमामतः। पुनशभूयः संप्राप्य यथार्य लोकपूजितः ॥ मोजकन्या सुजातत्यादोजकास्तेन ते स्मृताः ॥ आदित्यशर्मा या लोके वचार यातिमागताः ॥ इसी विषयमें याद में छपे भविष्यपुराधमें इस प्रार रिया है अरशद इतिख्यातो चशकीतिविवर्धन ।।४॥ अझिजात्यामधाप्पोक्ता सोमजात्या द्विजातयः । भोजकादित्य जात्याहि दिव्यास्ते परिकीर्तिताः ॥ ४॥ -अध्याय ११९। आगे चलकर उसीके अन्याय १४० में लिया है-- भोजकन्या सुजावत्याद्धोजकास्तेन ते स्मृताः ॥३२॥ जरका अर्थ वडा नमिवाला हाता है। बहुतने ऐतिहासिक जरहास्त, मग और शायापी पाब्दोंसे इनका पारसी मना मागत हैं, क्यों कि वरशस्त ( जरदस्त) पारसियो पैगम्बरका नाम था । इमान ईशनमें आगकी पूजा चलाई थी तिमी पारसी लोन अस्तक पर आते हैं। शरत्रमादीने आग पुननेवालेका नाम भग लिया है। अगर सद साल मग आतिश फरोजद । षी आतिश अदरी उफ़तद विसोजद । इन बारेमें अधिनः देखना हो तो मारवाड़ी जातियोकी रिपोर्टमे दख सात है। चौहान-चश। सेननशके बाद चौहानवश है। (चौहान) भी मास्नेको पाँगका तरह अमिवशी समझते हैं। शिलालशोमें इनका सूर्यम दाना मी लिखा मिलता है। राजपूतानने पहल पहल इनका राज्य सामरमें हुआ था। इसी ये लोग गॉमरा चौहान करलाने ।। इसक पूर्व ये खास रिवा चौहान बहलात इसम पाया