पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२३९

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भरतकें प्राचीन राजवैश कम्पयंश शिखर ( यह हस्ति-युद्धमें पड़ा निपुण था ), भास्कर और प्रताप आदैि अनेक सामन्त इझ हो गये । इनके सिवा दो बड़े पीछा पाठिा देवरक्षित र सिन्धुराज मी पहुँचे । सुत्र तैयारियौं । जाने पर गाको पार करके रामपाल ससैन्य धारभू-दामें पहुंचा। वहीं पर गई। पीरसासे भीमने इनका सामना किया । परन्तु अन्तमें वह हया और कैद कर लैिया गया। इससे उस वई दुर्दशा हुई। कैव जा सत्र सेना भी नष्ट कर दी गई। | ईयदेब३ वाम्नपत्र झिा है कि रामपालनै भयो मार कुर उसका निधि ४श छीन लिया ।" रामपालॐ मन्त्रीका नाम देने या । वह पूक्त योगवा पुन ध । | रामपाल राज्यके दूसरे वर्षका एक त विहार (दण्डू विहार ) में आर वार हुईं वर्ष का चर्टियों में मिला है। इसके पुत्र भाम फुमारपाल ‘दा ।। १७-कुमारपाल । यह एमाला पुत्र और उत्तराधिकारी या । इसके प्रधान मग्मीका नाम इयर्दैव था । यह पूवक्त बोधिदेवड़ा पुत्र था। पूर्ण इमामेभन अर बीर होनेकै कारण यह इमारयाला पूर्ण विश्वासपान भी । वघवेने दक्षिणी वदेश युद्धम बिइय-प्राति की और अपने स्वामी राग्यको अपिड बना रखा । इस समय में मप राना तय देवने वगषम शुरू कर दी। इस पर इमारपालने वामपका राज्य वैयदेवको ६ दिया । गश्च तिङ्गदैवफा परास्त करके इराक पिपर मैयदेवने अपना बना कर ३या । ३ग्ने मान्यतपमान ( काम | (१) Er Ind,५०] [I, FAR-55. १५) A B, 11, It, r, 1 42 " 11, 13