पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

भारतके प्राचीन जिवंशहैं। इनमें एक त महेन्द्रपरके राज्य आठवें वर्षका राम मय र इस अन्नास वर्षका गुरिया में मिला है । मग लेन गोविन्दपाल, नामक राजाके राज्यके चौदहवें भर्पा, अर्थात् विझम-चैयन् १२१२ का गयामें मिला है । ये नरेश भी पालवी ही होने चाहिए । | पूवा लेके अतिरिक्त एक लेतं मयामें नरेन्द्र 'पतालका मी मिला है। पर वह पालवंशी नहीं, सण थी । वह विश्वरूपका पुत्र और दुकको पात्र था 1 इस विश्वरूपा दृसूरा नाम ईश्वीचिंत्य भी या । अहं राजा नेपालके समय में विद्यमान था, ऐसा उसकै लॅसस पाया जाता है ।। समाप्ति । | जनरल कानड़हमिका अनुमान है कि पालवंशू न्तिम राजा इन्द्रघ्र य । परन्तु यह नाम ईस यश हे दिमें ही नहीं मिळता। पढपब उन्ह नाम दन्तकृयाकि आगार पर 1पा गया होगा । भेनवंशयन याला बड़ा हिस्सा और मिथिलामात, ईवी सनई यारह शताब्दीमें, पालवेशियोंसे छीन लिया था, जिससे उनका राय केवल दक्षिणी विहानै रह गया था। इस वंशका अन्तिम राजा गोंदि दपाल था। उसे सन ११९७ ६सर्व । विक्रम संवत् १२५४) ३ निकट बख्तियार लिने हराया और उसकी राजधानी अन्तिदुरीके न कर दियः । पार्मास्यकै काश शिंतनै दHि ( रा)y ) पहा विरों में इसे अब भी उसने झरी वाला । इस घटना के बाद मी, कृ] समय तक, वन्य पात्र विते था; परन्तु उसका राज्य भए । चुका । । | | ( १ ). A, B. ., Yet. III,1, 14. ) ८. 3. 3. R., Yel. jji, P, 1:4, (५) . . . . . J7, 7, 537.