पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२४३

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मारतकै प्राचीन राज्ञवंदा सेन-बंश । जाति । पालवयोंका राज्य पस्त होने पर हाल सैन-बंशी राजाओं का राज्य स्थापित हुआ । यद्यपि इनके शिलालेखों और दान-पस इद्र होता है कि ये चन्द्वी क्षत्रिय थे और अद्भुतसागर नामक ग्रन्थसे भी यही बात सिद् होती है, तथापि देवपद् ( बाल ) में मिले हुए वारहवीं शताकि विजयनफे लेकैमें इन्हें ब्रह्मक्षत्रिय लिखा है तमिन्सेनान्वाये प्रतिमुभशनादननवादी । अन्नह्मनियापामुने पदमसान्तसैन । अर्थात् उस प्रसिद्ध सन-में, शनुभंकी मानेवाला, वेद पढ़नेवाला तया ब्राह्मण और क्षत्रिका मुकुटवरूप, सामन्तरीन उपन्न हुआ ! वेलके सेनवंशी बेत्र अपनेको बिस्यति राना बालरोनके वशन्न वतहते हैं । जनरल नड्रामा म अनुमान है कि यदेशके सुनवशी राजा क्षत्रिय न , 4 ही थे । परन्तु रायवादुर पण्तेि - शङ्कर ओझा उनसे सहमत नहीं । वे सेनबर्श पजा बालसैनको देश हालसेनसे पृथः अनुमान करते हैं। यह अनुमान ठीक प्रतीत होता है। क्योकि बङ्गाल वालसेन नामका एक अन्य ज़मीदार भी बहुत विख्यात हो चुका है । घडू बॅयजातिका ५।। उसका मां के जीवनचरित 'वठ्ठल चरित' के नामसे प्रसिद्ध है। उसके ती मापार मढ़ने, जो इक्त वल्लाङसेनका गरु था, अपने शिष्यको बंध ाि है । उससे यह भी सिद्ध होता है कि बुर बालसैन सेनानी (१) Ep Jnd ,१० , 30: