पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२४५

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भारतके प्राचीन राज्ञयंश नामका प्रतापी गज़ा सामन्तसेनसे बहुत पहले हो चुका था और तेनवशी बीरसेन तो स्वग्न दृक्षणसे हरफर वहाँ आयो या ।। हरि मिश्च घटक रिका (३ज्ञावली) में हिंसा में 4 महाराज आदिशूरने कोलावन्दे ( कन्नोज राज्यम) से क्षिती, मैधादिग्नि, पीताम, सुधानिधि और भरि, इन पांच विद्वानको परिवारसहिंत लाकर यहीं पर रगता । उसके पश्चात् जब विजयसेना पुन, बालसेन वॉक जगद्दी पर बैठा तन उसने उन कुलीन ब्राह्मण के पश को बहुर गाँव आई' (वये । ” | इससे सिद्ध होता है कि आईिर पालवशी राजा देवपालसे भी पले हुआ या । । कुछ लोगों का अनुमान है कि अविशुर फौज के राजा हर्षवर्धन समकालीन राजा शशाङ्कसे आठवीं पीटीमें भा । य य अनुमान ठीक हो तब भी वह वह्नाळके सैनशी सज्ञा में बहुत पहले हो चुका यो । पटत गौरीशङ्करजीका अनुमान है कि नन्नाजमें फैलीन घाम पोक वालमें लाकर बसानेवाला आश्रि, शायद कौनका राजा मोजदेव हों, जिसका इसुर! नाम आदि-वाराह था। वाराह और कुर ये दोनों पर्यायवाची शब्द है। अतएव अवय/राहा अशिर्कर अर करके माल भादकै ससग शूर हो गया होगा । अत सम्भव है। के दियारा और आदिवार एक ही पुपके नाम हो । | यह भी अनुमान होता है कि इनके राजा भोजदेव, महेन्द्रपाल, महीपाल , अर अड़ाके पाव के ही पश हा, क्योंकि एक म ५ ६नों सूर्यवहाँ ये, दसरे, जय राई राजा इम्रान तीस ने महींपाठ ( झिाने पाज़ ) से कौनका अन्य छीन लिया तय | (१) IS A 5,126, P 24