पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२४७

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भारतकै प्राचीन राजवंश और गंदेश्वर इसके उपनाम थे ! दानसागरमें इसे वीरेन्द्रुका राजा लिया ह'। इससे प्रतीत होता है कि सेन शमें यह पहला प्रतापी राजा था। | इस समयका एक शिलालेख वैदपाइमें मिला है। उसमें डेरा है। कि इसने नान्य र वीर नामक राजाको बन्दी बनाया तथा गोङ। वामरूप और फलिङ्ग राजाओं पर विजय प्राते किया । विन्सेंट मिथने १११९ से ११५८ इसी तक इस राज्य होना माना है। | पूर्वोक्त नान्य' बहुत र नेपाली राजा नान्यदेव' ही होगा। वह विक्रम संवत् ११५४ ( शकसंवत् १०१९) में विद्यमान थे । नेपालमै मिली हुई बैशावठियोंमें नेपाल संवत् ९, आथीत् शङ्ब त् ८११, में नाम्यदेवा नैराट विजय कृरना लिंा है। परन्तु यह समय नेपामें मिली हुई प्राचीन विलित पुस्तकांसे नहीं मिलती ।। नेपाली मुंबनके उपयमें नेपाली बंशावलीमें हिरा है कि दूसरे ठाकुरवशके राजा मामथके पुत्र जयदेवने नेवारी(नेपा}संपत् प्रचलित किया ची ! इस संवत्दा आरभ शक संवत् ८०२( ईसवी सन् ८८० र विषम-बत् १३ ) में हुआ था । जयदेवमन कान्तिपुर र लातपहुना राना था । नेपाल वित् ९ अर्थात् शङ्क-वित ८११, नागशु-सप्तमी, के दिन दृणीट नान्यदेयने नेपाल विजय र जयदे: चम र उनके छोटे भाई आनन्दमह ईि सात जो माटगध नगर। शमी धा, तिरहुतकी तरफ भगवा दिया था। | इससे मट होता है कि नेपाल-संयतु और शक धन्फा अन्तर आगे यह भी ८०३ ( दिम-संवत् १३७ ) है। इही वशषिली i)! Itn 4. 8,1695, P. 20 (१) E, Ind, !, T. 11 (१) Ep Ied , "l ! | (}} Ep Ind, "at J, ' 13, nate 53. ' ', 13, pts 57 • ) Ted AE, F, IIT, . ६०१